उज्जैन के तौफीक की गौसेवा..!

उज्जैन। कभी भी सेवा किसी प्रदर्शन की मोहताज नहीं होती है, “नेकी कर और दरिया में डाल” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए नगर निगम के तौफीक खान ने लाॅक डाउन के दौरान बेजुबान जानवरों का पूरा ध्यान रखा, इसके लिए तोफिक खान ने खुद ही सारी व्यवस्थाएं जुटाई। 

उर्दू शब्द तौफीक का अर्थ होता है हिम्मत, हौसला, सामर्थ्य इन्हीं शब्दों को चरितार्थ करते हुए नगर निगम के सहायक राजस्व निरीक्षक तौफीक खान ने लाॅक डाउन के दौरान गौ माता के साथ साथ मछलियों और बंदरों का भी ध्यान रखा। तौफीक खान रोज 10 किलो आटे की रोटियां और बिस्किट के पैकेट आदि का इंतजाम खुद के सामर्थ्य किया। प्रतिदिन रामघाट से लेकर विष्णु सागर और दो तालाब से लेकर विनोद मिल के तालाब तक मछलियों को आटा और बिस्किट डालने से लेकर रहा राह पर मिलने वाली गाई को रोटी खिलाने का काम भी तोफीक खान ने किया। इस दौरान तौफीक खान किसी  तरीके से सेवा कार्य को लेकर फोटो सेशन नहीं करवाया।

“उज्जैन चर्चा” को यह फोटो और वीडियो आम लोगों की ओर से मिले हैं । इस मामले को लेकर जब तोफिक खान से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निगम के बड़े अधिकारियों ने गायों को चारा डालने के मौखिक आदेश दिए थे लेकिन चारा भी मिलना बड़ा मुश्किल हो रहा था। इस दौरान गाय को रोटी डालने के लिए गुरुद्वारे की ओर से काफी दिनों तक मदद की गई , वहां से रोटियां लगातार मिलती रही लेकिन गुरुद्वारे के पैकेट की डिमांड अधिक बढ़ जाने की वजह से गाय के लिए रोटी निकलना मुश्किल हो गई ।

इसके बाद उन्होंने अपने मित्र और खुद के प्रयास से घर पर रोटियां बनाना शुरू करवा दी। 10 किलो आटे की रोज रोटियों को गायों तक पहुंचाया गया। इसके अलावा आटे और बिस्किट तथा उसके साथ साथ ब्रेड भी मछलियों , बंदरों को खिलाया गया । उन्होंने बताया कि बेजुबान जानवर किसी से बोलकर मांग नहीं सकता है , ऐसी स्थिति में जितने प्रयास हुए उतने ही अपनी ओर से किए गए । हालांकि तौफीक खान की एक और अच्छाई देखिए। उन्होंने पूरा मामला मीडिया के जरिए आम लोगों तक पहुंचाने से भी इंकार कर दिया । उन्होंने कहा कि यह सब कुछ उनका फर्ज है।

 वर्तमान समय में जब सियासत जहर घोलने का काम करने में भी पीछे नहीं हटती है, ऐसे में तौफीक खान जैसे गौसेवक लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं। 

देखते रहिए।

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