उज्जैन: जब कानून का डंडा और नियमों की कलम चलती है तो..

उज्जैन। जब कानून का डंडा और नियमों की कलम चलती है तो अच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाती है । जब भी कोई बंदूक का लाइसेंस लेने जाता है तो उसका सारा आपराधिक रिकॉर्ड हर पैमाने पर खंगाला जाता है,  लेकिन जब बंदूक का लाइसेंस बन जाता है तो इसके बाद लाइसेंसधारी व्यक्ति के अपराधिक रिकॉर्ड पर निगाह डालने की जहमत नहीं उठाई जाती है। इसी वजह से पिछले कई सालों से उज्जैन जिले में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी जो लाइसेंसधारी होने के बावजूद उनके खिलाफ पुलिस थानों में अपराधिक प्रकरण दर्ज थे। उज्जैन जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने पहली बार ऐसे लोगों पर निगाह दौड़ाई और उन्हें लाइसेंस निलंबित कर नोटिस जारी किए गए।

वैसे तो समय-समय पर भारत सरकार ने आयुध अधिनियम 1959 में साल 2016 सहित अन्य संशोधन करते हुए कई जटिल नियम भी बनाए लेकिन नियमों का पालन कराने वाले लोगों ने कभी गंभीरता से नहीं सोचा। पुलिस विभाग द्वारा भी लगातार लाइसेंस लेने के पहले ही लोगों के अपराधिक रिकार्ड को लेकर चिंताएं की गई । लाइसेंस बनने के बाद अपराधिक रिकॉर्ड पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । इसी के मद्देनजर उज्जैन जिले में ऐसे लगभग ढाई सौ लोग सामने आए जिनके पास लाइसेंसी हथियार थे और उनके खिलाफ पुलिस थानों में अपराधिक प्रकरण दर्ज हैं । कलेक्टर मनीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर ने आयुध अधिनियम का हवाला देते हुए 241 लोगों को लाइसेंस निलंबित कर नोटिस जारी किए है। मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब लाइसेंस लेने के बाद जिन लोगों के खिलाफ पुलिस थानों में आपराधिक प्रकरण दर्ज हुए हैं उन्हें लाइसेंस निलंबित कर नोटिस जारी किए गए हैं। इसके अलावा 10 दिनों का समय भी दिया गया है।  इन 10 दिनों में अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो बंदूक के लाइसेंस निरस्त हो जाएंगे। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें कई सत्तारूढ़ पार्टी के नेता भी शामिल है । इसके अलावा कुछ विपक्ष पार्टी से जुड़े हुए लोग भी सम्मिलित है।

हथियार का लायसेंस लेने की प्रक्रिया-

– पहला कदम लाइसेंस प्राप्त करने हेतु एक आवेदन जमा करना है। कोई भी व्यक्ति अपने राज्य की पुलिस के जिला अधीक्षक से आवेदन फॉर्म प्राप्त कर सकता है ।

– आवेदन प्राप्त करने के बाद, पुलिस यह जांच करेगी कि क्या किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों का पिछला रिकॉर्ड है या नहीं और वे यह भी जांचेंगे कि क्या दिया गया पता प्रामाणिक है या नहीं ।

– उस व्यक्ति के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्रित की जाती है, जो एक बंदूक प्राप्त करना चाहती है, जिसमें आवेदक के आस-पास या पड़ोस से लोगों से पूछना शामिल होता है अगर वे आवेदक में किसी भी प्रकार के दुर्भावनापूर्ण विचार देखते हैं या अगर उन्होंने क्रोध के कारण आवेदक को लड़ाई में शामिल होते हुए अपना आपा खोते हुए देखा है या नहीं ।

– यह निर्धारित करने के लिए कि व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार है या नहीं, डीसीपी उस व्यक्ति का साक्षात्कार करता है जो बंदूक लाइसेंस प्राप्त करना चाहता है।

लाइसेंस रद्द करने के कुछ नियम-

– यदि कोई व्यक्ति बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के दौरान उपस्थित नहीं होता है या बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए उचित तथ्यों को व्यक्त नहीं करता है तो अधिकारी उस व्यक्ति के लाइसेंस को रद्द कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त अधिकारी एक विशेष अवधि के लिए बंदूक लाइसेंस को निलंबित भी कर सकते हैं।

– लाइसेंस अधिकारी एक बंदूक का लाइसेंस निलंबित कर सकता है यदि वह संतुष्ट है कि बंदूक के मालिक को अधिनियम के तहत कुछ प्रावधानों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया है।

– अगर जनता की सुरक्षा को कोई खतरा हो एवं लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद भी हथियार का वितरण नहीं किया गया हो तो लाइसेंस को रद्द किया जा सकता है ।

लाइसेंस केवल तीन श्रेणियों के लिए जारी किए जाते है-

आत्मरक्षा

खेल

फसल सुरक्षा

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