उज्जैन। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से पूरी उम्मीद की जा रही है कि अब उज्जैन में टोटल लॉकडाउन का समय आ गया है जिस पर वे अमल करेंगे.. जब उज्जैन का इतिहास लिखा जाएगा तो कोरोना काल के दौरान उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल की मेहनत के साथ-साथ उनके करें निर्णय कड़े भी जिक्र होगा। अब वह समय आ गया है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश का पालन करते हुए सभी को 30 अप्रैल तक के लिए घरों में सख्ती से रहने का निर्देश जारी किया जाए।
उज्जैन के सरकारी और निजी अस्पताल में भले ही कोरोना से मौत नहीं हो रही हो लेकिन घबराहट से जरूर लोग दम तोड़ रहे हैं। जिस प्रकार से उज्जैन का माहौल निर्मित हो गया है उस तरीके से यहां के लोगों को रहने की बिल्कुल आदत नहीं है। उज्जैन में धड़ाधड़ मौत की खबरें सामने आ रही है । उज्जैन के नानाखेड़ा क्षेत्र में स्थित होटल के संचालक का दुखद निधन हो गया। इसके अलावा देवास रोड के एक व्यापारी ने भी दम तोड़ दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में 35 से 55 साल के लोगों की अधिक मौत हो रही है। ऐसी स्थिति में उज्जैन में दहशत का माहौल भी बन गया है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए तुरंत lock-down लगाने की जरूरत है।
अगर ऐसी परिस्थिति में कोई जनप्रतिनिधि लॉकडाउन का विरोध करता है तो फिर उज्जैन की समस्त जिम्मेदारी उक्त जनप्रतिनिधि को सौंपी जानी चाहिए । उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार ने काफी उम्मीदों के साथ आईएएस अधिकारी आशीष सिंह को उज्जैन की कमान सौंपी है । इसके अलावा पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल को भी विपरीत परिस्थिति में उज्जैन लाया गया है। दोनों अधिकारियों से यह उम्मीद की जा रही है कि संभागीय मुख्यालय की स्थिति सुधारने के लिए कड़ा निर्णय लेंगे। वर्तमान में एक बार फिर क्राइसिस मैनेजमेंट की टीम को सोचने की जरूरत है । गौरतलब है कि कोरोना की पहली लहर में लॉक डाउन का सख्ती से पालन कराए जाने की वजह से उज्जैन में अधिक लोगों की मौत नहीं हुई थी। वर्तमान परिस्थिति में मौत का कारण जो भी रहा हो मगर कोविड अस्पतालों से लगातार शव बाहर निकल रहे हैं।