उज्जैन। उज्जैन में आधे अधूरे लॉकडाउन के परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं जिस प्रकार से उम्मीद की जा रही थी कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा घटेगा उस प्रकार से परिणाम नहीं आ पा रहा है । ऐसी स्थिति में उज्जैन को पूरे लाॅक डाउन की जरूरत है। कलेक्टर साहब , उज्जैन के हालात को देखते हुए आप स्वयं निर्णय लेकर शहर को संकट से उबारे..।
उज्जैन शहर के प्रत्येक व्यापारी और आम लोगों की यह भावना है कि लॉकडाउन बढ़ाने की वजह ऐसा लाॅक डाउन लगना चाहिए जो फिर आगे नहीं बढ़ाना पड़े। लगातार lock-down बढ़ता चला जा रहा है और किसी भी प्रकार के परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। 1 सप्ताह का लॉकडाउन बीतने के बाद अब दूसरे चरण का शुरू हो गया है, मगर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना की पहली लहर के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले भर के जिलाधीश को लाॅक डाउन का निर्णय लेने के पूरे अधिकार दिए थे । वर्तमान परिस्थिति में प्रशासनिक अधिकारी भी राजनीतिक दबाव में नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं 30 अप्रैल तक लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने की अपील की है। सरकार चाहे तो पूरा लाॅक डाउन भी लगा सकती है मगर मध्य प्रदेश के कई जिलों में हालात अच्छे हैं मगर उज्जैन, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल की बात की जाए तो यहां पर हालात बेहतर नहीं बताए जा सकते हैं। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने सोमवार को इंदौर में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों को स्थगित करते हुए अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है। ऐसी ही परिस्थितियां उज्जैन में भी निर्मित हो रही है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि कुछ जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि सख्त लाॅक डाउन नहीं लगे, ऐसे जनप्रतिनिधियों को फिर कोरोना काल में पूरी जवाबदारी लेना चाहिए। उन्हें यह भी जवाबदारी लेना चाहिए कि आगे से लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर ऐसी जिम्मेदारी उठाने को जनप्रतिनिधि तैयार नहीं है तो फिर पूरा मामला कलेक्टर आशीष सिंह को सौंप देना चाहिए। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह जिस प्रकार से कदम उठा रहे हैं उससे उज्जैन की जनता काफी संतुष्ट है, मगर सुबह 8 बजे से 12 बजे तक जिस प्रकार से सड़कों पर जाम लग रहा है, उसे देखकर स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में भी कोरोना काबू पाना मुश्किल भरा रहेगा। यदि उज्जैन के प्रशासनिक अधिकारी आने वाले 1 सप्ताह के लिए कड़ा लाॅक डाउन लगा दे तो शायद उज्जैन के बेहतर परिणाम निकल कर सामने आ सकते हैं।
उज्जैन में जिस प्रकार से मौत का सिलसिला तेजी से चल पड़ा है उसे शहर भर के लोगों में दहशत का माहौल है। यह बात अलग है कि मौत कोरोना से हो रही है या नहीं , मगर शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां पर किसी ना किसी व्यक्ति की मौत की चर्चा नहीं है। वर्तमान समय कड़ा निर्णय लेने का है और उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से उम्मीद की जा रही है कि वे ऐसा कोई कार्य और निर्णय जरूर लेंगे जिससे महामारी का प्रकोप कम किया जा सके।
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