भोपाल। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में पहले स्थान पर चयनित किया है। यह राष्ट्रीय पुरस्कार गुरूवार, 24 जनवरी 2019 को दिल्ली में राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा। देश का पहला पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मध्यप्रदेश से महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव जे. एन. कांसोटिया एवं महिला एवं बाल विकास संचालनालय के कमिश्रर डॉ. अशोक कुमार भार्गव को पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया है। भारत सरकार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के निदेशक अशोक कुमार यादव ने मध्यप्रदेश सरकार को भेजे गए पत्र में बताया है कि यह पुरस्कार देश भर के पांच राज्यों को ही दिया जा रहा है, जिसमें मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है। मध्यप्रदेश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान के क्रियान्वयन में भारत सरकार के अभियान में अच्छा कार्य, बेहतर सहयोग एवं मजबूत निर्देशन एवं मार्गदर्शन के साथ साथ अभियान का धरातल पर क्रियान्वयन करने में सबसे अच्छा कार्य किया है। इस अभियान को पूरा हुए चार साल बीत गए हैं। गौरतलब है कि आईएएस अफसर डॉ अशोक भार्गव किसानों की हितैषी योजनाओं में भी कई बार उत्कृष्ट कार्य कर चुके हैं इसके अलावा गांव और गरीब के लिए भी सरकारी स्तर पर प्रत्येक योजनाओं को पहुंचाने में अव्वल रहे हैं जब वे शहडोल कलेक्टर के रूप में पदस्थ थे उस समय कृषि महोत्सव के दौरान किसानों को लाभ पहुंचाने में डॉ भार्गव ने अपना महती योगदान दिया था।
अभियान के मुख्य उद्देश्य
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के मुख्य उद्देश्यों में सामाजिक लिंग (जेंडर) आधारित लिंग चयन को समाप्त करना, बालिकाओं की उत्तराजीविता एवं उन्हें संरक्षण सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना, जेंडर आधारित भेदभाव को मिटाना इत्यादि है। योजना का समग्र लक्ष्य यही है कि बेटी के जन्म का उत्सव मनाना एवं उसे शिक्षा दिलाना है
क्यों शुरू की गई योजना
बताया जाता है कि भारत सरकार द्वारा बालिकाओं के अस्तित्व, सुरक्षा तथा शिक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से देश के अति कम शिशु लिंग अनुपात वाले जिलों में वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरूआत की गई। इस योजना में मध्यप्रदेश के 42 जिले शामिल है। इस योजना को सघन एवं समन्वित प्रयासों से शिशु लिंग अनुपात में सुधार के लिए एज जन अभियान के रूप में संचालित किया जा रहा है। योजना के निगरानी मूलक लक्ष्यों में चयनित जिलों में जन्म के समय शिशु लिंगानुपात में वृद्धि करना, पांच वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु दर में लिंग आधारित अंतर को कम करना, समुदाय को श्ाििुश लिंगानुपात तथा बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता करने के लिए गांव से लेकर शहर और महानगर तक लोगों को प्रशिक्षित करना इत्यादि है।