उज्जैन। क्राइम और क्राउड का ग्राफ एक साथ बढ़ता है और एक साथ घटता है दोनों एक दूसरे के पूरक है जैसे ही आबादी बढ़ती है अपराध का ग्राफ भी बढ़ता चला जाता है लेकिन उज्जैन पुलिस अधीक्षक का यह कमाल ही है कि अब उज्जैन में छोटी सी वारदात भी घटित हो जाती है तो लोगों की अपेक्षा अपराधी के खिलाफ कार्रवाई की एकदम बढ़ जाती है। इसका साफ तौर पर संकेत मिलता है कि उज्जैन पुलिस के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है लेकिन क्राइम और क्राउड का तालमेल देख कर ही पुलिस के कामकाज पर टिप्पणी करना जायज है।
गौरतलब है कि उज्जैन पुलिस अधीक्षक के रूप में आईपीएस अधिकारी सचिन कुमार अतुलकर एक से बढ़कर एक उपलब्धियां हासिल की है । एक तरफ जहां पुलिस के प्रति आम लोगों के मन में विश्वास बढ़ा है, वहीं दूसरी तरफ पुलिस का खौफ गुंडों में पहले से कई गुना अधिक है। पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर जब छुट्टी पर भी जाते हैं तो वे औपचारिक रूप से वरिष्ठ अधिकारियों को छोड़कर कहीं जानकारी नहीं देते हैं। इसके पीछे सबसे रोचक बात यह है कि उनकी अनुपस्थिति में जिले पुलिस पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं बनाया जा सके । पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर नेे जिले में जनता के बीच में जो विश्वास जमाया है, उससे पुलिस की साख में इजाफा हुआ है। पुलिस कप्तान हाईटेक इंतजामों के चलते हमेशा जिले पर नजर रखते हैं। एक तरफ जहां उनके मोबाइल में कई सीसीटीवी कैमरे अटैच है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे कई हाईटेक इंतजाम उनके पास हमेशा रहते हैं जिसकी वजह से वे अपराध पर नियंत्रण करने में अपने मातहतों को लगातार निर्देश देते रहते हैं । गौरतलब है कि उज्जैन शहर की आबादी 10 लाख से भी अधिक हो चुकी है। हालांकि उज्जैन मे अभी काफी समय से जनगणना का काम नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों की मानें तो उज्जैन शहर की आबादी 10 लाख के लगभग पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में शहर में अपराध का ग्राफ बड़े शहरों की तुलना में काफी कम है। इसी प्रकार उज्जैन जिले की बात की जाए तो आबादी का आंकड़ा लगभग 25 लाख से अधिक है पूरे जिले की बात की जाए तो यहां भी पुलिस की कार्रवाई रिकॉर्ड तोड़ हो रही है।
उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर अगर इंदौर की बात की जाए तो उज्जैन की तुलना में इंदौर के अपराधों का ग्राफ कई गुना अधिक है जबकि आबादी की मान से भी उज्जैन की गणना आसपास के जिलों से की जाए तो यहां के अपराध के ग्राफ में काफी कमी आई है। इसके पीछे पुलिस विभाग द्वारा बनाई गई रणनीति महत्वपूर्ण है । पुलिस विभाग द्वारा लगातार गुंडों की मॉनिटरिंग की जा रही है । इसके अलावा प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का ग्राफ बढ़ाया गया है । पुलिस ने केवल गुंडे और बदमाशों पर औपचारिक कार्रवाई ही नहीं करना अपना दायित्व समझा है बल्कि गैंग और माफिया पर लगाम कसी है। इसके अतिरिक्त गुंडों के आर्थिक स्त्रोतों पर भी प्रहार किया है। पुलिस ने जिस प्रकार के दायित्व को पिछले 2 सालों में निभाया है, वह आमतौर पर फिल्मों में ही देखने को मिलता है । पुलिस ने गुंडों से कब्जों के मकान छुड़वा कर आम लोगों को उनका हक दिलवाया है ।
पुलिस ने असामाजिक तत्वों पर इतनी तेजी से कार्रवाई की है कि अब उज्जैन जिले में छोटी सी वारदात भी हो जाती है तो उस पर जमकर हल्ला मच जाता है । सोशल मीडिया पर तुरंत क्रिया प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है जबकि कुछ साल पहले की बात की जाए तो ऐसी परिस्थितियां पहले नहीं थी। पुलिस अपराधियों पर नकेल जरूर कर सकती है लेकिन आबादी बढ़ने के साथ-साथ अपराधों को पूरी तरह खत्म करना किसी के बूते की बात नहीं है। हां, इतना जरूर है कि अपराध घटित होने के बाद उज्जैन जिले में जो कार्रवाई होती है उससे अपराधी सबक लेकर दूसरी बार वारदात करने की सपने में भी नहीं सोचता है।
गुंडों का रतलाम जिले से भी पलायन
उज्जैन संभाग में गुंडों के खिलाफ लगातार अभियान चल रहे हैं । पुलिस महानिरीक्षक राकेश गुप्ता द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। रतलाम जिले की बात की जाए तो रतलाम पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने भी असामाजिक तत्वों की नाक में दम कर रखा है । रतलाम जिले से भी गुंडों का लगातार पलायन हो रहा है। इसी प्रकार शाजापुर जिले की कमान संभालने के बाद पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव भी लगातार अभियान चला रहे हैं । उज्जैन संभाग भौगोलिक , अपराधी और राजनीतिक गतिविधियों के मामलों में देशभर के निशाने पर रहता है। ऐसी स्थिति में यहां की अपराधिक गतिविधियां कम होने से व्यापारिक गतिविधियां लगातार बढ़ रही है। पर्यटकों का भी रुझान पिछले कुछ समय में बढ़ा है।