उज्जैन। साल था 2010 और महीना था जनवरी का.. ठंड के महीने में इंदौर के सोना चांदी व्यापारी कैलाश सोनी सिवनी के तत्कालीन एसपी डॉ रमन सिंह सिकरवार के पास पहुंचते हैं और घटना बयान करते हुए बताते हैं कि उनके साथ सावनी में लूट की वारदात हो गई है। बदमाश उनसे ₹10 लाख नगद और 1 किलो 200 ग्राम सोना लूट कर ले गए हैं क्योंकि मामला गंभीर था इसलिए पुलिस अधीक्षक रमण सिंह सिकरवार ने टीम गठित कर बदमाशों की धरपकड़ के प्रयास शुरू किए।
पुलिस कप्तान की मेहनत रंग लाई और बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया। जब लुटेरे गिरफ्तार हुए तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गई । इस पूरे मामले में फरियादी खुद भी गलत साबित हो गया। फरियादी कैलाश सोनी ने जो रकम और सोना लिखवाया था, वह असलियत में हुई वारदात का काफी कम था। सिवनी पुलिस कप्तान के नेतृत्व में हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई में आरोपियों से 7 किलो 400 ग्राम सोना और ₹40 लाख की नकदी बरामद किए गए।इसके बाद पुलिस अधीक्षक डॉ रमण सिंह सिकरवार फरियादी से पूरे मामले की असलियत का पता लगाते हैं तो जानकारी मिलती है कि फरियादी से 7 किलो 400 ग्राम सोना हो 40 लाख की नकदी की लूट हुई थी, उसने किसी कारणवश सही रकम नहीं लिखवाई थी। बाद में कोर्ट से फरियादी ने अपनी पूरी रकम हासिल कर ली । हालांकि उसे इनकम टैक्स भी भरना पड़ा। ऐसी एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों मिसाले हैं जो सिलसिलेवार “उज्जैन चर्चा” आप तक पहुंचाएगा।
नेताओं के बीच सम्मान और डर
सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी डॉ रमण सिंह सिकरवार जब तक कुर्सी पर काबिज रहे तब तक उनका राजनेताओं के बीच सम्मान और डर दोनों ही साफ देखने को मिला। जब वे शिवपुरी में एसडीओपी के पद पर पदस्थ थे, उस समय एक बड़े राजनेता के परिवार के लड़के पर लड़की को भगाने का आरोप लगा, जिसके बाद प्रभावशाली लोगों के खिलाफ छापामार कार्रवाई करते हुए डॉक्टर सिकरवार ने बड़ी मिसाल कायम की, उस समय पुलिस के खिलाफ शिवपुरी में जमकर आंदोलन भी हुए लेकिन आखिरकार सच्चाई की जीत हुई। जिस की तलाश की थी वह बरामद हुई और पूरे मामले का पटाक्षेप भी हुआ।
33 साल की नौकरी में 28 तबादले
जब भी ईमानदारी से कोई काम पूरी निष्ठा के साथ किया जाता है तो ऊपर वाला भी साथ देता है लेकिन नीचे वाले भी रोड़ा अटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं । इसके भी उदाहरण समय-समय पर देखने को मिलते हैं । आईपीएस अधिकारी डॉ रमण सिंह सिकरवार ने पुलिस महकमे में 33 साल की सेवाएं दी है। इस दौरान उन्हें पांच पदोन्नति मिली। उन्होंने सीएसपी के रूप में सेवाएं शुरू की थी इसके बाद उन्हें एडिशनल एसपी फिर एसपी इसके बाद एसएसपी, डीआईजी और फिर आई जी के रूप में सेवानिवृत्त किया गया। हालांकि इस दौरान उनके अट्ठाविस तबादले हुए। यह भी अपने आप में इमानदारी की निशानी के साथ-साथ मुश्किल भरे पुलिस विभाग के सफर की एक दास्तां है।