उज्जैन: सीएम का सम्मान और 12 बटालियन का काम

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में भू माफियाओं के खिलाफ हुई कर्रवाई को लेकर एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल सहित पुलिस की पीठ थपथपाई है.. जो काम उज्जैन के जिला प्रशासन और पुलिस महकमे ने किया है, वह काम कोई आसान नहीं था.. पूर्व में इस कार्य को करने में कई अधिकारियों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए थे.. देखिए विक्रम सिंह जाट की पूरी रोचक खबर। 

उज्जैन। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में अपराधों की समीक्षा और पुलिस संबंधी कार्यों को लेकर उज्जैन को प्रदेश में दूसरा स्थान दिया है। उज्जैन पुलिस के लिए ही नहीं बल्कि शहर के लिए भी गौरव की बात है । हालांकि यह सम्मान पाना कोई आसान काम नहीं था इसके लिए उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल के साथ साथ पूर्व एडीएम नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने पूरी ताकत लगाई थी.. हमेशा इसलिए क्यों कह रहे हैं यह खबर के विस्तार में पता चल जाएगा।

महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत सबसे बड़ी बाधा मंदिर के पीछे बेगम बाग के इलाके में वे अवैध मकान थे जो पिछले कई सालों से यहां अवैध कब्जे के रूप में बसे हुए थे। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने पूरी रणनीति तैयार कर एक के बाद एक मकानों को अलग-अलग तरीकों से हटवाया। सबसे पहले स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने की पहल की गई। इस पहल में भी अधिकारी कामयाब रहे। इसके बाद धीरे-धीरे समझाइश का दौर शुरू हुआ और फिर तेजी से मकान हटना शुरू हुए ।

जिला प्रशासन और पुलिस महकमे ने जब देखा कि अधिकांश लोग मकान हटा चुके हैं और कुछ लोग ही अड़े हुए हैं तो फिर ऐसे लोगों को सख्त अल्टीमेटम देकर हटाया गया। इसके बाद हरि फाटक ब्रिज के नीचे से भी अतिक्रमण हटाने में पूरी रणनीति के तहत काम किया गया। सबसे पहले कब्जा धारियों से दस्तावेज मांगे गए जब कोई दस्तावेज सामने नहीं आए तो फिर उन्हें बार-बार समय के साथ अल्टीमेटम दिया गया। नगर निगम के माध्यम से सख्त अल्टीमेटम भी दिया गया। इसके बाद यह पूरा मामला माननीय न्यायालय के पास चला गया। माननीय न्यायालय में जब जिला प्रशासन ने अपना पक्ष मजबूती से रखा तो कब्जा धारियों ने खुद स्वीकार किया कि यह जमीन सरकारी है और वे इस पर कब्जा कर बैठे हैं । इसके बाद कब्जा धारियों ने माननीय न्यायालय के समक्ष कहा कि वे 45 दिन में अपना कब्जा हटाने को तैयार है। बस, इसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस विभाग का काम आसान हो गया। जैसे ही 45 दिन की समय अवधि पूरी हुई वैसे ही सख्त तरीके से अतिक्रमण हटा दिया गया। इस कार्रवाई में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र सिंह चौहान और पूर्व अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने खुद खड़े रहकर एक एक अतिक्रमण को हटवाया।

 12 बटालियन की जरूरत पड़ेगी

अतिक्रमण हटाने के लिए कई साल पहले भी सरकारें कोशिश कर चुकी है। सूत्रो के अनुसार उस समय एक अधिकारी ने अपने औपचारिक पत्र में यह तक लिखा था कि अतिक्रमण हटाने के लिए 12 बटालियन की जरूरत पड़ेगी।  इसके अलावा यह भी लिखा गया था कि अतिक्रमण हटाने के दौरान बलवा, मारपीट, हंगामा, बड़ा विरोध जैसी संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने स्पष्ट और सरल रणनीति के तहत बड़ी ही आसानी से बड़े अतिक्रमण को हटाने में सफलता अर्जित की है।

एक नवंबर को सम्मान 

भोपाल के सूत्रों के मुताबिक 1 नवंबर को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर मध्य प्रदेश के चुनिंदा आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भोपाल में सम्मानित किया जाएगा । उस सूची में उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल का नाम भी शामिल है।

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