जब रात हो ऐसी मतवाली तो सुबह का आलम क्या होगा, संदर्भ उपचुनाव..

आज जब ये ग्राउंड रिपोर्ट लिखने बैठा हूं तो यहां भोपाल से तकरीबन दो सौ तीन सौ किलोमीटर दूर मुंगावली और कोलारस में शांति से वोट डल रहे हैं। वैसे तो ये उपचुनाव हैं मगर इन चुनावों में राजनीतिक गर्मी और तपन आम विधानसभा चुनावों जैसी रही। वजह ये है कि ये उपचुनाव आम चुनावों के नौ महीने पहले हो रहे हैं। इन दो चुनावों के बाद दोनों पार्टियों को सीधे अब विधानसभा चुनाव में ही पूरी ताकत से उतरना है। इसलिये इसे बडे चुनावों के पहले की दंड बैठक या वार्म अप मैच मान सकते हैं। मगर बीजेपी तो कोई मैच अभ्यास मैच सरीखा खेलती ही नहीं है उसके लिये तो सारे मैच टेस्ट मैच होते हैं। जिसका लेखा जोखा उनके अध्यक्ष जी की रिकार्ड बुक में रखा जाता है इसलिये इस बार भी बीजेपी ने ये मैच पूरी ताकत और रूतबे से लडा। इन दो चुनावों का परिणाम जो भी कुछ हो मगर इन चुनावों के दौरान जो समीकरण बनते दिखे वो आने वाले विधानसभा चुनाव को प्रभावित करेंगें।
दृश्य एक। कोलारस में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन बीच शहर में कांग्रेस की सभा हो रही है। कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच पर हैं उनके साथ हैं कांगे्रस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और पीसीसी चीफ अरूण यादव। इसके पहले इन तीनों ने शहर में बडा रोड शो कर कांग्रेस की ताकत दिखायी थी और ऐसा ही रोड शो इन तीनों नेताओं ने नामांकन भरने के दौरान किया था। अपने भापण की शुरूआत करते हुये सिंधिया कहते हैं परम आदरणीय कमलनाथ जी जिन्होंने मेरे पूज्य पिताजी के कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और पिछले सोलह साल से जो राजनीति में मेरे पथप्रदर्शक बने हुये हैं। तालियां बज जाती हैं कमलनाथ जी के नाम पर। मगर कमलनाथ जी के नाम पर तालियां भाषण में एक बार और बजवायीं गयीं जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस इलाके में तीन हजार नौ सौ करोड रूप्ये की सडकों का जाल कमलनाथ नाथ जी के चलते ही बिछाया गया इसलिये इनके लिये इतनी तालियां बजाओ कि छिंदवाडा में भी इतनी तालियां नहीं बजीं होगी हमारे कमलनाथ जी के लिये। बस फिर क्या था पंडाल दो तीन मिनिट तक तालियों से गूंजता रहा और कमलनाथ देर तक आनंदित होते रहे।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के पहले कमलनाथ और सिंधिया की ये जुगलबंदी नयी है जो इस चुनावों के दौरान मजबूत हुयी। कमलनाथ हर उस मौके पर मौजूद रहे जब सिंधिया ने उनको चाहा। विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में जब सीएम के लिये चेहरे को आगे कर चुनाव लडने की मांग की जा रही है तो ऐसे में कमलनाथ का समर्थन सिंधिया के साथ है ये इन उपचुनावों के दौरान साफ हो गया। युवा सिंधिया और वरिष्ठ कमलनाथ की ये जुगलबंदी चुनाव तक चलेगी या नहीं ये देखना होगा। हांलाकि इसी रैली में तकरीबन नब्बे साल के हजारीलाल रघुवंषी ने सिंधिया के बारे में कहा कि वो आशीर्वाद देते हैं कि सिंधिया मध्यप्रदेश के ,,,,बाकी की लाइन जनता और मंच पर बैठे लोगों ने पूरी कर दी।
द्ष्य दो। सभी छोटे बडे सभी चुनावों में जमकर मेहनत करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चुनावी रथ पर सवार होकर मुंगावली के गांव खिरिया पहुंचे हैं। जहाँ उनके रोड शो का स्वागत होना है। रास्ते के दोनों तरफ पुरूप महिलाएं और बच्चियां कलश सर पर लेकर खडी हैं। शिवराज माइक से कहते हैं मुझे पांच महीने दे दो पांच साल के ठहरे हुये विकास कार्य कर दूंगा। ये जो हमारे साथ जालम सिहं हैं ये हमारे मंत्री हैं और अब आपकी सारी बातें यहीं सुनेंगे समझेंगे आपके सारे काम करेंगे हमने चुनाव बाद उनको यही छोडना हैं। भाषण खत्म होता है तो जालम सिहं फिर रथ में सवार हो जाते हैं और अगली जगह पर फिर रूक कर शिवराज के साथ बगल में खडे हो जाते हैं। आप इसे लोधी बहुल मुंगावली में जालम सिहं की मदद से वोटों में सेंध लगाने की बीजेपी की पहल मान सकते हैं मगर मध्यप्रदेष की राजनीति में उमा भारती के बाद किसी दूसरे लोधी नेता की स्थापना है ये। लोधी वोटरों के लिये उमा भारती कुसुम मेहदेले और प्रहलाद पटेल नहीं यहां शिवराज सिंह को जालम सिंह पर भरोसा करते है। ये भी एक नया समीकरण है जो विधानसभा चुनाव तक चलेगा या नहीं देखना होगा।
मुंगावली और कोलारस में घूमने के दौरान बहुत सारे छोटे समीकरण और समझ में आये मगर ये चुनाव शिवराज सरकार के मंत्रियों की गलतियों और उनको मिली चुनाव आयोग की फटकार के लिये याद रहेगे। कांग्रेस ने जहाँ ये चुनाव सिंधिया और उनकी टीम के दम के पर लडा तो बीजेपी ने अपने सारे घोडे इस चुनाव क्षेत्र में उतार दिये थे। चूंकि बीेजेपी के नेता चर्चित चेहरे हैं तो आसानी से गलतियां करते कैमरों की पकड में आये। पहले कैबिनेट मंत्री गौरीषंकर बिसेन फिर यषोधरा राजे सिंधिया और उसके बाद माया सिंह के साथ साथ सीएम शिवराज सिंह को भी आयोग की फटकार मिली। बुरा तो हुआ बीजेपी विधायक नरेद्र सिहं कुशवाह और शेलेन्द्र जैन के साथ भी जिनकी गाडियां जब्त हुयी और उनको बेआबरू होकर चुनावी सीमा से पुलिस ने बाहर निकाला। चुनाव के दौरान हुयी इस फजीहत को मंत्री और विधायक भूलेंगे नही हांलाकि इन चुनाव का परिणाम भी जिस पार्टी के विरोध में आयेगा वो भी इसे नहीं भूलेगा क्योंकि मेहनत और मशक्कत करने में दोनों पार्टियों ने कोई कसर नही छोडी है। मगर इस चुनावी दंगल का परिणाम जानने के लिये 28 तक दिल थाम कर बैठना होगा।
ब्रजेश राजपूत,
एबीपी न्यूज,
भोपाल

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