उज्जैन संभाग। पिछले 1 साल से मंदसौर में जिस प्रकार के हालात लगातार बन रहे हैं । उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवराज सरकार की मुसीबत का नाम मंदसौर है । मंदसौर में पिछले साल गोली कांड हुआ था जिसमें किसानों की मौत हो गई थी । यह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले की वजह से मंदसौर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
मंदसौर की बात की जाए तो सबसे पहले जिक्र होता है किसानों के साथ हुए गोलीकांड का। साल 2017 में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन था , जिसके बाद गोलीकांड की घटना सामने आई थी । उस समय मध्य प्रदेश सरकार ने तत्कालीन मंदसौर एसपी ओपी त्रिपाठी और तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र सिंह को निलंबित कर दिया था । सरकार ने हाल ही में दोनों अधिकारियों को बहाल कर दिया है। जेसे ही मंदसौर में 7 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म का प्रकरण उजागर हुआ । इस मामले में एक बार फिर देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदसौर का नाम सुर्खियों में ला दिया है । मंदसौर दुष्कर्म कांड को लेकर देशभर में आक्रोश है। लोग आरोपी इरफान और उसके साथी को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मामले को लेकर सरकार भी सख्ती की बात कह रही है लेकिन लोग कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं । कांग्रेस पूरे मामले को भुनाने में लगी हुई है । चुनावी साल होने की वजह से भाजपा सरकार की मुश्किले मंदसौर के कारण लगातार बढ़ती जा रही है । इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री और जनप्रतिनिधि लगातार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं । कुल मिलाकर उज्जैन संभाग का छोटा सा जिला मंदसौर सरकार के लिए फिलहाल मुसीबत बना हुआ है।