अतिक्रमण: भूमाफियाओं पर एफआईआर हो जाती है लेकिन गिरफ्तारी नहीं..क्यो?

उज्जैन। जब भी सीएससी क्षेत्र में अतिक्रमण अथवा शासकीय जमीन पर गलत तरीके से कॉलोनी काटने के मामले सामने आते हैं तो सीधे FIR की बात की जाती है । FIR तो हो जाती है, लेकिन भू माफियाओं की गिरफ्तारी या नहीं हो पाती है । भू माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन के साथ-साथ नगर निगम को भी पूरा सहयोग करना होता है, लेकिन अक्सर यह देखने में आता है कि अपनी गलतियां छुपाने के लिए नगर निगम के अधिकारी भू माफियाओं के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई होने में रुकावट डालते हैं। देखिए पूरी रिपोर्ट

उज्जैन शहर भले व्यापारिक दृष्टि से छोटा शहर है लेकिन भूमाफियाओं के लिए यह सोने की खान से कम नहीं है। दरअसल उज्जैन में अगर अवैध कॉलोनी की बात की जाए तो वेध कालोनियों की संख्या का आंकड़ा छोटा पड़ जाएगा । उज्जैन में अवैध कालोनियों की इतनी भरमार है कि उज्जैन नगर निगम को पूरा सर्वे करने में कई महीने लग सकते हैं ।पूर्व में भी नगर निगम आयुक्त विजय कुमार जे द्वारा चिमनगंज मंडी थाने में भू माफियाओ के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई थी। अभी भी नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल द्वारा FIR दर्ज कराने की कार्रवाई की जा रही है । नगर निगम के बड़े अधिकारी भू माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहते हैं । इसके अलावा जिला प्रशासन के आला अधिकारी भी कड़ी कार्रवाई के मूड में है। उज्जैन कलेक्टर मनीष सिंह सिंहस्थ मेला क्षेत्र में अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसके अलावा पुलिस प्रशासन भी कड़ी कार्रवाई करना चाहता है। पुलिस प्रशासन , नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन की मंशा के खिलाफ भूमाफिया किस प्रकार बचने का रास्ता निकाल रहे हैं। यह चौंकाने वाली बात है। इस पूरे मामले की सूक्ष्मता से पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि नगर निगम के  कुछ कर्मचारियो की ही मिलीभगत अवैध कॉलोनी काटने का काम जोरों पर है।

इस काम में कुछ राजनीतिक संरक्षण होने की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इन सबके बीच आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है। जब पुलिस में अपराध दर्ज हो जाता है तो गवाह और सबूत के लिए पुलिस को नगर निगम पर आश्रित होना पड़ता है। नगर निगम के कर्मचारी जो पुलिस को पर्याप्त सबूत दे सकते हैं । वे पूरी तरीके से पुलिस की मदद के मूड में नजर नहीं आते हैं। इसी वजह से गवाहों और सबूतों के अभाव में भू माफियाओं के खिलाफ अभी तक बड़ी कार्रवाई नहीं की जा सकी है ।इसके पीछे एक और प्रमुख वजह यह है कि पंजीयन कार्यालय में सिंहस्थ भूमि होने के बावजूद छोटे-छोटे भूखंडों की खुलेआम रिश्वत लेकर विक्रय पत्र निष्पादित किए जा रहे हैं । जब की सिंहस्थ भूमि क्षेत्र पर छोटे भूखंड कोई भी व्यक्ति कृषि कार्य के लिए नहीं लेगा। यह सब कुछ जानकारी में होने के बावजूद पंजीयन कार्यालय में आंखें मूंदकर अधिकारी विक्रय पत्र संपादित करवा रहे हैं ।  मेला क्षेत्र के अलावा शासकीय भूमि को भी भूमाफियाओं से बचाना आसान नहीं है। नगर निगम के आला अधिकारी भले ही पुलिस में FIR दर्ज करवा दें लेकिन भूमाफियाओं की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ सबूत एकत्रित करना पुलिस के लिए आसान नहीं होगा।

इसके लिए सबसे बेहतर तरीका यह है कि पूरे मामले में ठोस दस्तावेजी प्रमाण एकत्रित करने के बाद भूमाफियाओं को हिरासत में लिया जाए और फिर उनके खिलाफ FIR दर्ज कर तत्काल आरोपियों को जेल भेज दिया जाए।

अवैध कालोनियों से तीन सौ करोड़ के राजस्व की हानि-

अवैध कॉलोनियों की बात की जाए तो अवैध कालोनियों के जरिए उज्जैन जिले में सरकार को पिछले कुछ सालों में लगभग 300 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है इतना ही नहीं इन कालोनियों से मिलने वाले संपत्ति कर की राशि भी नगर पंचायत और नगर निगम को नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से विकास कार्य बाधित हो रहा है वर्तमान में नगर निगम आर्थिक रुप से काफी कमजोर हो चुकी है नगर निगम और राजस्व विभाग को जो भी राज्य से मिलता है उसका विकास कार्यों में उपयोग होता है ऐसे में भूमाफिया

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