उज्जैन। आपने जरायम की दुनिया में पुलिस अधिकारियों के खौफ के कई किस्से सुने होंगे और यह भी देखे भी होंगे, लेकिन कभी पुलिस अफसरों का खौफ उनके ही विभाग के निचली पंक्ति के कर्मचारियों और अफसरों के बीच देखा है? अगर आपका जवाब नहीं में है तो हम आपको एक ऐसी ही सत्य रिपोर्ट बताने जा रहे हैं । आप पूरी रिपोर्ट ध्यान से पढ़िए ।
उज्जैन जिले में पिछले कुछ महीनों में ऐसी परिस्थितियां बनी है, जिसकी वजह से उज्जैन जिले में कई अफसर अपनी पोस्टिंग नहीं करवाना चाहते हैं । सबसे बड़ी बात यह रही है कि उज्जैन जिले में ऐसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग हो गई है, जिनकी ईमानदारी की कसमें पुलिस विभाग में खाई जाती है। सबसे पहले हम बात करें तो पुलिस महानिरीक्षक राकेश गुप्ता की जो कि उज्जैन एसपी रह चुके हैं । उज्जैन एसपी के रूप में आईपीएस अधिकारी राकेश गुप्ता ने दबंगई के साथ लोगों को न्याय दिलवाया । इसके अलावा उन्होंने उज्जैन डीआईजी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी । इस दौरान भी श्री गुप्ता ने लोगों का भरोसा जीतने के साथ-साथ दिल भी जीता है।
डीआईजी के रूप में उज्जैन में सेवाएं दे रहे डॉ रमण सिंह सिकरवार तो उज्जैन में नगर पुलिस अधीक्षक और अतरिक्त पुलिस अधीक्षक भी रह चुके हैं । उज्जैन शहर के लोग डॉक्टर सिकरवार को 2- 4 साल नहीं बल्कि 20 से अधिक वर्ष से जानते हैं। दो दशक से यह देखने में आ रहा है कि डॉक्टर सिकरवार की गिनती ऐसे ऐसे पुलिस अफसरों में होती है, जो निहायती इमानदार के साथ-साथ लोकप्रिय और न्याय प्रिय अधिकारी है । डीआईजी साहब के बाद उज्जैन एसपी सचिन कुमार अतुलकर की बात की जाए तो उन्हें उज्जैन में पदस्थ का महज 1 वर्ष ही पूरा हुआ है। पूर्व में IPS अधिकारी सचिन कुमार अतुलकर उस समय उज्जैन आए थे, जब वे स्कूल में पढ़ाई करते थे। श्री अतुलकर उज्जैन में स्कूल की तरफ से क्रिकेट मैच खेलने आए थे । दोनों आईपीएस अफसरों के बाद श्री अतुलकर की पोस्टिंग के बाद से उज्जैन से कई पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने अपने तबादले कराना शुरू कर दिए। इसके बाद जरायम की दुनिया के साथ-साथ पुलिस विभाग में भी इन आईपीएस अधिकारियों का खौफ बन गया, जिसकी वजह से अभी भी कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी उज्जैन जिले में आना नहीं चाहते हैं । दरअसल तीनों पुलिस अधिकारियों की छवि ईमानदार अफसरों में शुमार है । इसके अलावा अनुशासन की सख्ती और लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते हुए कड़ी कार्रवाई करने की आदत ने इन अधिकारियों का खौफ पुलिस विभाग में भी पैदा कर दिया है । उज्जैन जिले में कई पुलिस थाने बिना थाना प्रभारी के चल रहे है।
पुलिस विभाग के आधिकारिक सूत्रों की माने तो कई बार पुलिस मुख्यालय भोपाल में पत्र भी भेजा जा चुका है कि उज्जैन में पुलिस बल की कमी है । इसके अलावा आने वाले समय में भगवान महाकाल की सवारी के साथ-साथ अन्य धार्मिक आयोजन भी होना है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव भी इसी साल अंत में होना है। इन सब परिस्थितियों के बीच भी पर्याप्त संख्या में पुलिस अधिकारी उपलब्ध नहीं है। जिन पुलिस अधिकारियों की पहुंच उपर तक है वे उज्जैन छोड़कर दूसरे जिले में अपनी पोस्टिंग करवा रहे हैं । हालांकि उज्जैन पुलिस द्वारा पूर्व में चलाए गए अभियान पवित्र की वजह से उज्जैन जिले के 12000 से अधिक असामाजिक तत्वों पर प्रतिबंधात्मक और अन्य कार्रवाई हो चुकी है । इसी वजह से बिना थाना प्रभारी और पुलिस बल की कमी के कारण बावजूद थाने चल रहे हैं । इतना ही नहीं अपराध और अपराधियों पर भी पुलिस का नियंत्रण पहले से काफी बढ़ा है। जहां भी संगीन अपराध घटित भी हो रहे हैं वहां अपराधी तुरंत सलाखों के पीछे पहुंच रहा है ।
माधवनगर थाने का उदाहरण-
एक साल पहले तक उज्जैन का माधव नगर थाना सबसे VIP थाना होने के साथ-साथ मलाईदार थानों में गिना जाता रहा है । पुलिस अधिकारी अपना प्रभाव पहुंच के जरिए माधव नगर थाने में पोस्टिंग करवाने की जुगत लगाते रहते थे, लेकिन 1 साल से माधव नगर थाने में कोई भी पोस्टिंग करवाने को तैयार नहीं है । इस थाने की कुर्सी अभी भी खाली पड़ी हुई है। हालांकि बिना थाना प्रभारी के भी थाना बेहतर चल रहा है।
इन अफसरों ने भी संभाली कमान-
उज्जैन की कानून व्यवस्था और अपराधियों पर शिकंजा कसने में IPS अधिकारी अभिजीत रंजन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रमोद सोनकर, जगदीश डाबर, नीरज पांडे की भी अहम भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।