उज्जैन लोकायुक्त का छापा महंगा पड़ा आईपीएस अधिकारी को..

भोपाल। भारत सरकार ने मप्र के 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी मयंक जैन को तत्काल प्रभाव से सेवा से पृथक कर दिया है। लगभग 3 साल पहले मयंक जैन के घर पर लोकायुक्त छापा पड़ा था, जिसमें उनके पास आय से अधिक संपत्ति पाई गई थी। मध्यप्रदेश सरकार ने इस छापे के बाद उन्हें निलंबित कर दिया था। खबर है कि राज्य सरकार ने इसी साल 3 मार्च को उन्हें अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था जिसे भारत के गृह विभाग ने 13 अगस्त को मंजूर कर राज्य सरकार को सूचना भेज दी है।
आईपीएस मयंक जैन एमबीबीएस गोल्ड मेडल लिस्ट हैं। उन्होंने इसके बाद आर्थोपेडिक से मास्टर ऑफ सर्जरी की पढ़ाई भी की। इसके बाद उन्होंने आईपीएस की नौकरी ज्वाइन कर ली। उनके पिता, भाई और पत्नी भी डाक्टर हैं। उनका भोपाल और रीवा में नर्सिंग होम भी है। लोकायुक्त की उज्जैन टीम ने 15 मई 2015 को उनके भोपाल, इंदौर और रीवा स्थित निवास पर छापा मारा था। उस समय कहा गया था कि आईपीएस की नौकरी से सवा करोड़ रुपए कमाने वाले मयंक जैन के पास लगभग 100 करोड़ की सम्पत्ति मिली है। जबकि मयंक जैन के परिजनों का कहना था कि जैन पूरी नौकरी में बेहद ईमानदार अधिकारी रहे। छापे में जो कुछ मिला वह उनकी पुश्तैनी संपत्ति और पारिवारिक संपत्ति है।


निलंबन के बाद अलग-थलग
डॉ. मयंक जैन निलंबन के बाद अपने विभाग से लगभग पूरी तरह कटे हुए हैं। उन्हें इस बात का गम है कि विभाग के ही एक अधिकारी ने षड्यंत्र करके उनके घर छापा पड़वाया। खास बात यह है कि तीन साल से अधिक समय बाद भी लोकायुक्त उनके खिलाफ चालान पेश नहीं कर सकी है। इसके बाद भी उन्हें अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी गई। सेवानिवृत्ति की खबर के बाद प्रदेश के आईपीएस अधिकारियों में भी खलबली है। कई अधिकारियों का कहना है कि मयंक जैन के खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं हुआ है। इसलिए उन्हें इसके खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए। मयंक जैन से संपर्क करने का प्रयास किया,लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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