उज्जैन। कांग्रेस सरकार को बदनाम करने में केवल एमपीईबी ही नहीं बल्कि गैस पाइपलाइन डालने वाली कंपनी भी पीछे नहीं हट रही है । उज्जैन में कई स्थानों पर जानबूझकर पीएचई की लाइन को तोड़ा जा रहा है । गैस पाइपलाइन बिछाने के नाम पर लोगों को परेशान किया जा रहा है । उज्जैन के कई इलाकों में लोग प्यासे हैं। इससे सरकार के प्रति लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।
15 साल बाद बनवास से लौटी कांग्रेस सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है । आम जनता के बीच में सरकार की छवि खराब करने में कई एजेंसियां सक्रिय हो गई है । प्रदेश सरकार के मंत्री भी इस बात को मान रहे हैं कि एमपीईबी भी सहित कुछ ऐसी एजेंसी है जो सरकार की छवि खराब करने के लिए लोगों से सुविधाएं छीन रही है। उज्जैन की बात की जाए तो यहां गैस पाइप लाइन डालने के नाम पर पीएचई के लाइन तोड़ने वाली गैस कंपनी सक्रिय है । उज्जैन शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है । यहां पर स्मार्ट सिटी के तहत कई निर्माण कार्य चल रहे हैं लेकिन कुछ एजेंसियां सरकार को बदनाम करने के लिए लोगों के सामने सुविधा की जगह दुविधा खड़ी कर रही है, इन्हीं में से एक गैस पाइप लाइन की कंपनी भी है । उज्जैन के इंदिरा नगर और दुर्गा कॉलोनी सहित अंकपात मार्ग के कुछ इलाकों में गैस पाइपलाइन डालते समय कंपनी ने पीएचई की वर्षों पुरानी लाइन तोड़ दी, जिसकी वजह से पेयजल सप्लाई बाधित हो रही है ।पिछले कई दिनों से लोगों के कंठ प्यासे है। क्षेत्रीय पार्षद और जनप्रतिनिधि लोगों की समस्या हल करने में जुटे हुए हैं लेकिन निजी कंपनी के कर्मचारी लोगों के सामने दिन-प्रतिदिन मुसीबत खड़ी कर रहे हैं । बताया जाता है कि गैस पाइपलाइन के कर्मचारी से बार-बार विनती की जा रही है लेकिन वे कई जगह जानबूझकर पाइपलाइन फोड़ रहे हैं। उज्जैन की सबसे पुरानी दुर्गा कॉलोनी की बात की जाए तो यहां लोग पानी के लिए भटक रहे हैं। लोगों का कहना है कि गैस पाइपलाइन के कर्मचारी सिन्हा से गुजारिश की गई थी कि वे पेयजल लाइन के ऊपर गैस पाइपलाइन नहीं डाले लेकिन वह उन्होंने एक न मानी। कर्मचारी ने वर्षों पुरानी पाइप लाइन को फोड़ दिया जिससे पिछले चार-पांच दिनों से पेयजल सप्लाई बाधित हो गई है। इस मामले में जब गैस पाइपलाइन कंपनी के विवेक गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने भी कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।
उज्जैन में गैस पाइपलाइन डालने वाली कंपनी के लोग स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को भी बदनाम कर रहे हैं । इसके अलावा पीएसी का लाखों रुपए का नुकसान भी किया जा रहा है । अब सवाल यह उठता है कि पीएचई अपने विभाग के होने वाले नुकसान को लेकर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?