उज्जैन। मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की आस्था का केंद्र महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में निजी सुरक्षा कर्मियों का ठेका बदला है। पहले यह ठेका थर्ड आई नामक सुरक्षा एजेंसी के पास था जो कि बदलकर अब एसआईएस नामक कंपनी को चला गया है। इन सब के बीच महिला सुरक्षाकर्मियों की ड्रेस को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं ।महिला सुरक्षाकर्मी भी ड्रेस को लेकर नाखुश है । उनका मानना है कि पुरुष और महिलाओं की ड्रेस में अंतर होना चाहिए। वर्तमान में दोनों की वेशभूषा एक जैसी रखी गई है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में केवल अधिकारियों द्वारा ही फेरबदल नहीं किया जाता है बल्कि यहां काम करने वाली एजेंसी अभी अपने अपने हिसाब से काम करती है। महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में सुरक्षाकर्मियों का ठेका बदला गया है। सुरक्षाकर्मियों का ठेका बदलने से नई एजेंसी ने नए नए नियम कानून लागू कर दिए हैं । एक तरफ जहां पुराने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है , वहीं नए कर्मचारियों की नई ड्रेस लागू कर दी गई है। महाकालेश्वर मंदिर में लगभग 175 निजी सुरक्षाकर्मी काम करते हैं। पूर्व में काम करने वाले थर्ड आई एजेंसी के लगभग 100 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया है । अब इंदौर, देवास, शाजापुर सहित आसपास के जिलों के नए-नए कर्मचारी नई एजेंसी ने रख लिए है। इसके अलावा उनकी ड्रेस भी बदल दी गई है। वर्तमान में जो पुरूष कर्मचारियों के लिए ड्रेस रखी गई है उसे लेकर तो किसी को एतराज नहीं है लेकिन महिला सुरक्षाकर्मियों को पेंट शर्ट और टाई में खड़ा किया जा रहा है, जिसे लेकर कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों को भी आपत्ति है। महाकालेश्वर मंदिर में जब गर्भ ग्रह में प्रवेश बंद रहता है उस समय महिला श्रद्धालुओं को साड़ी में प्रवेश दिया जाता है, वहीं पुरुषों को भी धोती पहनना आवश्यक होती है। एक तरफ तो महाकालेश्वर मंदिर समिति गर्भगृह में प्रवेश को लेकर साड़ी वाला नियम लागू करती है। वहीं दूसरी तरफ एक निजी सुरक्षाकर्मी महिलाओं को साड़ी से दूर कर पेंट शर्ट पहना देती है । महिला सुरक्षाकर्मियों ने भी नाम न छापने की शर्त पर यह बताया कि उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्र को पूरा मामले में संज्ञान लेना चाहिए । इसके अलावा महाकाल मंदिर के प्रशासक सुजान सिंह रावत को भी निजी सुरक्षाकर्मी से बात कर ड्रेस कोड में बदलाव कर आना चाहिए।