इन माफियाओं पर भी दौड़ाईए नज़र..!

उज्जैन। प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाए जाने का व्यापक असर देखने को मिल रहा है लेकिन इस पूरे अभियान को फिलहाल उज्जैन में पुलिस ने ही संभाल रखा है। अभी जिला प्रशासन की आक्रामकता का लोगों को इंतजार है । अभी भी उज्जैन शहर में कई ऐसे माफिया हैं जिन पर पुलिस की नजर तो है लेकिन प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार है। अभी ऐसे माफियाओं पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। देखिए खास रिपोर्ट।

उज्जैन में पिछले कुछ सालों से माफियाओं ने इस कदर पैर पसार लिए हैं जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। माफियाओं के खिलाफ कमलनाथ सरकार ने अभियान चलाकर आम लोगों की भावनाओं के अनुरूप बड़ा फैसला लिया है । यह अभियान तब तक सफल नहीं हो पाता है जब तक कि जिला प्रशासन भी आक्रामक रवैया नहीं अपना उज्जैन में केवल गुंडागर्दी चाकूबाजी और अवैध कब्जे करने वाले माफिया ही सक्रिय नहीं है बल्कि ऐसे माफिया भी सक्रिय हैं जो सरकारी जमीनों व कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। इसके अलावा ऐसे माफिया भी सक्रिय हैं जो अवैध कालोनियां काटकर करोड़ों में खेल रहे हैं। ऐसे माफियाओं की भी कमी नहीं है जो सरकारी जमीन के साथ-साथ तालाब और सरकारी  संसाधनों पर कब्जा जमाए हुए हैं । चाकू चलाने वाले गुंडे केवल अपने दायरे में रहकर माफिया के रूप में काम कर सकते हैं लेकिन सरकारी जमीनों पर कॉलोनी काटकर और नियम विरुद्ध प्रयोजनों के जरिए हजारों लोगों को ठगने वाले गुंडों से बड़े माफिया है जो लोगों की जीवन भर की कमाई पर डाका डाल देते हैं । उज्जैन शहर में पिछले कुछ सालों में जमीनों के भाव आसमान पर पहुंचने के बाद कई असामाजिक तत्व  जमीन से जुड़े कारोबार में लिप्त हो गए। अवैध कॉलोनी की वजह से सरकार के राजस्व पर भी काफी असर पड़ा है। इसके अलावा जो लोग अवैध रूप से कॉलोनी काटते हैं उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उज्जैन में अभी भी कई ऐसे माफिया हैं जिन्हें जिला प्रशासन बेनकाब करते हुए पुलिस के माध्यम से खत्म कर सकता है। ऐसे माफियाओं पर अभी शिकंजा कसा जाना बाकी है।

 

खनिज माफिया-  मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद सही कमलनाथ ने जनहित में कार्य किए हैं । सरकार ने माफियाओं के खिलाफ जो बड़ा निर्णय लिया है। वह ऐतिहासिक फैसला है ऐसे में जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के साथ-साथ खनिज विभाग और अन्य ऐसे डिपार्टमेंट को भी सक्रिय हो जाना चाहिए जो सीधे राजस्व से जुड़े हुए हैं। अगर खनिज माफिया की बात की जाए तो यह भी सरकार के राजस्व को हानि पहुंचा रही है । उज्जैन जिले में बड़े पैमाने पर खनिज माफिया सक्रिय है राजनीतिक संरक्षण को ढाल बनाकर खनिज माफिया प्रतिमाह करोड़ों रुपए कमा रहा है। अगर गंभीर नदियों शिप्रा नदी की बात की जाए तो यहां पर खनिज माफिया जहाज के माध्यम से रेत निकाल रहा है। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर जमकर खुदाई होकर खनिज चोरी किया जा रहा है। ऐसे में खनिज माफियाओं के खिलाफ पहले कई रिपोर्ट हो चुकी है मगर अब अभियान के दौरान खनिज माफिया बचा हुआ है।

खाद्य माफिया-  उज्जैन में जिला प्रशासन और खाद्य विभाग के माध्यम से कुछ खाद्य माफियाओं पर रासुका की कार्रवाई भी हो चुकी है। पुलिस विभाग भी कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटा है लेकिन पिछले कुछ समय से खाद्य माफियाओं के लाभ लगाम फिर ढीली हो गई है । इस अभियान में खाद्य पदार्थों में मिलावट कर लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए । इसके लिए जिला प्रशासन को खाद्य विभाग के साथ संयुक्त कार्रवाई करना पड़ेगी।

रजिस्ट्री माफिया- उज्जैन के पंजीयन विभाग में भी ऐसा माफिया सक्रिय है जो मकान खरीदने वालों की भूखंड की रजिस्ट्री करवाता है। कुछ समय पहले मामले भी सामने आ चुके हैं उस समय कलेक्टर ने एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दिए थे लेकिन पंजीयन विभाग में पेनल्टी लगा कर मामला रफा-दफा कर दिया। आज दिनांक तक कोई एफआर दर्ज नहीं की गई। यह माफिया अभी भी सक्रिय है जो सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचा रहा है । माफियाओं के इस गैंग को भी जिला प्रशासन की सक्रियता से बेनकाब किया जा सकता है ।इससे सरकार को राजस्व की बड़ी रकम प्राप्त होगी।

क्रमशः

ujjaincharcha.com

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