..तो थावरचंद गहलोत बनेंगे मुख्यमंत्री!

भोपाल (विक्रमसिंह जाट)। मोदी सरकार का सबसे बड़ा दलित चेहरा एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजनीति में सुर्खियों में आ गया है। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। कमलनाथ सरकार के गिरने पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर सकती है। इससे भाजपा को एक तीर से कई निशाने साधने को मिल जाएंगे।

मध्यप्रदेश में भले ही विधायक दल के द्वारा अपना नेता चुना जाता है लेकिन सब कुछ दिल्ली से चलता है । कांग्रेस में जहां कमलनाथ की ताजपोशी हाईकमान ने की वहीं सरकार गिरने पर भारतीय जनता पार्टी की और से भी ताजपोशी दिल्ली से की जाएगी। इन सब चर्चाओं के बीच एक बड़ी खबर यह आ रही है कि मोदी सरकार के सबसे बड़े दलित चेहरे थावरचंद गहलोत को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है। गौरतलब है कि थावरचंद गहलोत का नाम राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी सबसे आगे था लेकिन उस समय श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति की कमान सौंप दी गई। संघ की पृष्ठभूमि से निकले केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत कई बार विधायक सांसद और मंत्री रह चुके हैं। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत मोदी सरकार में सबसे मेहनती मंत्रियों में गिने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत का नाम केंद्र की राजनीति करने वाले बड़े नेताओं द्वारा भी दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान के विकल्प के रूप में नरेंद्र सिंह तोमर का नाम पहले मुख्यमंत्री के लिए आगे आया था लेकिन हाल ही में बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर दोनों ही ग्वालियर से नाता रखते हैं, ऐसी स्थिति में कहीं ना कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की नरेंद्र सिंह तोमर के नाम पर पूरी तरह सहमति नहीं बन पाई होगी। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में कांग्रेस की सरकार को डगमगाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया का रोल सबसे अहम माना जा रहा है। यही वजह है कि सरकार बनाने में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दखलअंदाजी भी देखने को मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को लेकर किसी प्रकार की कोई आपत्ती नहीं है। बताया जाता है कि संघ के साथ साथ बीजेपी के नेताओं को भी थावरचंद गहलोत के नाम से कोई आपत्ति नहीं है। विदित है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी केंद्र से आया था। पहले श्री चौहान को मध्य प्रदेश का बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद उन्हें अचानक स्वर्गीय बाबूलाल गौर के हटने के बाद मुख्यमंत्री बना दिया गया। यही वजह है कि केंद्र में की ओर से थावरचंद गहलोत का नाम बड़ी मजबूती के साथ सामने आ रहा है। ज्ञात रहे कि श्री गहलोत संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं । वे मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि कई और राज्यों में टिकटों के वितरण से लेखक मोदी सरकार की उपलब्धियां पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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