उज्जैन में सब्र जवाब देने लगा…!

उज्जैन। उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को लेकर आम लोगों के साथ-साथ पत्रकारों का सब्र भी धीरे-धीरे जवाब दे रहा है। सोशल मीडिया पर जो पत्रकारों का आक्रोश और गुबार देखने को मिला शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। उज्जैन में कई वरिष्ठ पत्रकार भी आरडी गार्डी की अव्यवस्थाओं को लेकर खासे नाराज हैं। सरकार से सोशल मीडिया और अन्य माध्यम से भी मांग रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अभय तिरवार ने अपनी पोस्ट में लिखा आएगी आरडी गार्डी अस्पताल से कोरोना के मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया जाना चाहिए, वरना मौत ही मौत है। हरिभूमि के स्थानीय संपादक श्री तिरवार कई दिनों से लगातार आरडी गार्डी कालेज की अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

जनता की अदालत के संपादक और युवा पत्रकार प्रमोद व्यास ने भी आरडी गार्डी को खूब कोसा है। उन्होंने पार्षद की मौत के बाद लिखा है कि अब तो रहम करो…

वरिष्ठ पत्रकार निलेश सांघी सोशल मीडिया पर लिखते हैं कि अस्पताल बदलना हल नहीं है लेकिन इलाज की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

 समाजसेवी श्याम वर्मा के अनुसार कोरोना के मरीजों का इलाज सिविल अस्पताल में किया जाना चाहिए।

युवा पत्रकार धर्मेंद्र सिरोलिया ने ग्रामीण भाषा में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज पर तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि आरडी गार्डी में व्यवस्थाएं शुद्ध सुधारना चाहिए।

नागझिरी क्षेत्र के रहने वाले शाहिद मंसूरी लिखते हैं कि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में ऐसे कौन डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं जो परिणाम इतने घातक सामने आ रहे हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि गड़बड़ी कहां है ? इसका पता लगाया जाना चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार उमेश चौहान डॉक्टर महाडिक को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं । उनका कहने का तात्पर्य है कि सरकार जब सभी मांगों को पूरा करते हुए पर्याप्त धनराशि मुहैया करा रही है तो फिर कोरोना के इलाज के परिणाम इतने खतरनाक क्यों आ रहे हैं ?

दैनिक शिप्रा के स्वर के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ गणपत सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सरकार कब तक चुप रहेगी ? अब तो उनकी पार्टी के नेता ही आरडी गार्डी का शिकार बन रहे हैं।

युवा  पत्रकार अभिषेक दुबे , कांग्रेस नेता गुलफान, मकसूद अली सहित कई और ऐसे लोग हैं जो लगातार आरडी गार्डी में व्यवस्था सुधारने को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। अभी वर्तमान स्थिति को देखते हुए सभी को सोशल मीडिया भी एक बड़ा प्लेटफार्म दिखाई दे रहा है।

सोशल मीडिया पर पत्रकारों समाजसेवी और बुद्धिजीवी वर्ग का ऐसा गुस्सा शायद पहले देखने को नहीं मिला होगा । आरडी गार्डी की अव्यवस्थाओं को लेकर सभी नाराज है। लोगों का कहना है कि व्यवस्था सुधरनी चाहिए। पत्रकारों कहना है कि अस्पताल भी बदलना चाहिए । इन सबके बीच जिला प्रशासन को अब बड़ा निर्णय लेने की जरूरत है। गौरतलब है कि उज्जैन में कुछ दूसरे अस्पताल भी अधिकृत किए जा सकते हैं, जहां पर बेहतर सुविधा मुहैया कराई जा सके। हालांकि यह सब कुछ इतना आसान नहीं है इसलिए सभी बिंदुओं पर मंथन चल रहा है। विधायक पारस जैन भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आरडी गार्डी की अव्यवस्थाओं को लेकर चिट्ठी लिख चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि मेडिकल कॉलेज की लापरवाही जगजाहिर हो गई है। हालांकि उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्र द्वारा सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं । उनके द्वारा पर कलेक्टर सुजान सिंह रावत को मेडिकल कॉलेज में पदस्थ कर दिया गया है।  आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक उज्जैन शहर में जिन 32 लोगों ने दम तोड़ा है , उनमें से कई लोगों की घरों पर ही मौत हो चुकी है । कई लोगों ने बीमारी को छिपाए रखा जिसकी वजह से आंकड़ा बढ़ गया। हालांकि अधिकारी भी ऑडी गाड़ी की लापरवाही को लेकर सिरे से इनकार नहीं कर रहे हैं।

 

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