उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में धर्म के साथ-साथ राजनीति की गंगा बहती है.. अगर सरकार को कोई भी निर्णय करना है तो कम से कम उज्जैन के जनप्रतिनिधियों से तो पूछना ही होगा… यह साबित हो गया है स्वास्थ्य विभाग के तबादलों से..। पहले तो महामारी का संकट और फिर अधिकारियों का..। देखिए खास रिपोर्ट..।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में कोरोना को लेकर उज्जैन मृत्यु दर के मामले में अव्वल है। इसके अलावा पॉजिटिव मामले में तीसरे नंबर पर है। संभागीय मुख्यालय उज्जैन पर जो भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की पोस्टिंग होती है, उस पर पूरे संभाग की निगाह रहती है। यहां पर कोरोना काल में अदला-बदली को लेकर असमंजस की स्थिति बनती जा रही है । स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते सीएमएचओ और सीएमओ सिविल सर्जन के तबादले की सूची आई। इसके बाद इस आदेश को फिर बदलना पड़ा। यह सब कुछ उस समय चल रहा है जब उज्जैन के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग बदलाव की बयार में मग्न है । गौरतलब है कि सीएमएचओ डॉ अनसूया गवली बहुत अच्छा काम कर रही है मगर भोपाल में बैठे अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जानकारी लिए बिना ही आदेश पर आदेश निकाल रहे हैं।
बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में अदला-बदली को लेकर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, मोहन यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को विश्वास में भी नहीं लिया गया। उन्हें इस बात की जानकारी भनक तक नहीं लग पाई कि स्वास्थ्य विभाग में बड़ा बदलाव हो रहा है। इसके बाद जिन चिकित्सकों की उज्जैन में पोस्टिंग हुई उन पर भी पहले आरोप लग चुके हैं । यह भी एक बड़ा कारण रहा है जिसकी वजह से आदेश पर अमल नहीं हो पाया । अब फिर एक आदेश का इंतजार हो रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के को विश्वास में लेकर अगला आदेश जारी होता है या नहीं । फिलहाल पुराने आदेश को स्थगित कर दिया गया है।