सत्ता और शराब का कैसा नाता..!

भोपाल/उज्जैन/इंदौर। शराब ऐसी चीज है कि जब तक सत्ता का नशा होता है शराब अच्छी लगती है लेकिन जैसे ही सत्ता का नशा उतर जाता है वैसे ही शराब का विरोध भी शुरू हो जाता है। मध्य प्रदेश की जनता कई वर्षों से यह राजनीति देख रही है । भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस सभी सत्ता में रहते हुए शराब की वकालत करते हैं और सत्ता जाते ही विरोध पर उतर जाते हैं। देखिए खास रिपोर्ट “शराब, शिवराज और सज्जनसिंह वर्मा..”।

“नशा शराब में होता तो नाचती बोतल…” फिल्मी गाने की यह लाइन वर्तमान के कोरोना काल में राजनीति पर सटीक साबित हो रही है। भले ही मध्य प्रदेश और देश में कई ज्वलंत समस्याएं हैं लेकिन पूरी राजनीति शराब के आसपास ही घूम रही है। जब भी कोई पार्टी सत्ता में होती है उसे राजस्व की चिंता होती है और राजस्व पाने का सबसे बड़ा जरिया शराब होता है, इसलिए कहीं ना कहीं सत्ता शराब के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। इसके बाद जब अधिक राजस्व पाने के लिए शराब को लेकर अलग-अलग नीति और रणनीति बनाई जाती है तो विरोधी पक्ष इसे मुद्दा बना लेता है । अभी कुछ ही महीने पुरानी बात है जब मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने महिलाओं के लिए अलग से वाइन शॉप खोलने की बात कही थी। उस समय भारतीय जनता पार्टी ने खुलकर विरोध किया था। यहां तक कि कांग्रेस सरकार के खिलाफ सड़क पर आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। इस पूरे मामले को लेकर टीवी चैनल पर जमकर डिबेट शुरू हुई। इसके अलावा महिला संगठनों ने भी मोर्चा संभाल लिया, उस समय कांग्रेस पूरे विवाद को लेकर अलग-अलग बयान देती रही लेकिन जैसे ही कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई वैसे ही शराब की बुराई साफ तौर पर दिखाई देने लगी।

गुरुवार को मध्य प्रदेश के कांग्रेस के कद्दावर नेता और उज्जैन के पूर्व प्रभारी मंत्री विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने शराब को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा है । श्री वर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को मामा कहते हैं लेकिन उन्हें अपने भांजे भांजियों के दूध की परवाह नहीं है बल्कि वे शराब की दुकानें खोल रहे हैं। कोरोना काल में शराब की दुकानों पर जिस प्रकार की भीड़ लग रही है उसके भयानक परिणाम आने वाले समय में देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश में दूध की डेरी खोलने का की मांग भी रखी है।  इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जहां भी शराब की दुकानें खोली जा रही है वहां महिलाएं लाठी लेकर मैदान में उतर जाएं, यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस पूरे घटनाक्रम को देखकर यह समझा जा सकता है कि कांग्रेस शराब खोलने की दुकानें खोलने के फैसले से कितनी नाराज है। 

वैसे भोपाल, इंदौर और उज्जैन रेड जोन में है इसलिए यहां शराब की दुकानें नहीं खोली जाएगी लेकिन यह सच है जहां भी शराब की दुकानें खोली जा रही है, वहां पर काफी भीड़ उमड़ रही है । ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। 

यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि मध्यप्रदेश को प्रतिमाह 834 करोड रुपए राजस्व केवल शराब से मिलता है।  यह इतनी बड़ी रकम है जिससे कोरोना के इलाज और राहत कार्य में काफी बड़ी मदद मिल सकती है। इसी वजह से शराब की दुकानें खोलना सरकारों की जरूरत ही नहीं बल्कि मजबूरी भी है।

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