उज्जैन। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भले ही अभी इंतजाम सुधर गए हो लेकिन जो लोग ऑडी गाड़ी का शिकार हुए हैं वह लोग रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी बयां कर रहे हैं आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज पर लापरवाही पूर्वक इलाज करते हुए जान लेने के आरोप लग रहे हैं दूसरी तरफ आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज भी लीपापोती करने में जुट गया है।
एमपी में आज तक किसी भी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज के खिलाफ इतना आक्रोश नहीं देखा। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के खिलाफ जो आरोप लग रहे हैं उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।उज्जैन के रहने वाले शिक्षक अयाज कुरेशी ने खुले रुप से आरडी गाड़ी मेडिकल कॉलेज पर उनकी 40 वर्षीय पत्नी अंजुम कुरैशी की जान लेने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अंजुम कुरैशी की पिछले दिनों तबीयत खराब हुई थी। उन्हें कोरोना की शिकायत नहीं थी इसके बावजूद आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज की बदइंतजामी के चलते 3 दिन में अंजुम कुरैशी की दर्दनाक मौत हो गई। फ्रीगंज ब्रिज के एक निजी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में पदस्थ कुरेशी से उनके परिवार के लोगों की आखिरी दम तक बात नहीं हो पाई। 4 मई को अंजुम कुरैशी ने सुबह 6 बजे दम तोड़ दिया। इसके बाद 8 घंटे तक परिवार वालों को सूचना तक नहीं दी गई। पीड़ित परिवार का आरोप है आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में बुखार जैसी छोटी बीमारी में भी जान चली गई । उन्होंने आश्चर्यजनक खुलासा करते हुए कहा कि अंजुम कुरेशी की कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आई है । जब यहां जानकारी होने लगी तो उनके पैरों तले धरती खिसक गई। अयाज कुरैशी ने बताता कि अंजुम अस्पताल के हालात देखकर घबरा गई थी। जब उन्होंने अस्पताल में प्रवेश किया उसी समय रास्ते में उन्हें तीन लाशें दिखाई दी।इसके बाद अंजुुम ने घर या दूसरे अस्पताल जाने की इच्छा प्रकट की थी मगर कोरोना संदिग्ध बताते हुए उन्हें अस्पताल में ही घेर लिया गया । इस घटना से कुरेशी परिवार पूरी तरह टूट गया है । अंजुम कुरैशी के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो आखिरी दम तक उनका चेहरा तक नहीं देख पाए। पूरे मामले को लेकर कुरेशी परिवार कानूनी सलाह ले रहा है। अगर शासन-प्रशासन मेडिकल कॉलेज पर कोई कार्रवाई नहीं करता है तो कुरेशी परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि पार्षद मुजफ्फर हुसैन की भी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट होने के बाद भी इलाज में लापरवाही से जान चली गई। अधिकारियों के मुताबिक पार्षद मुजफ्फर हुसैन की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट आई थी। फिर पार्षद की मौत किन परिस्थितियों में हुई ? यह जांच का विषय है। इसके अलावा रिकॉर्ड खंगाले जाएं तो कई और लोगों की मौत के मामले सामने आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में भी आरडी गार्डी पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए लेकिन फिलहाल मेडिकल कॉलेज कागजों में मजबूत होने की कोशिशों में लगा है। मेडिकल कॉलेज यह बताने में लगा है कि उसकी लापरवाही से नहीं बल्कि मरीजों की लापरवाही से उनकी मौत हुई है। कुछ लोगों को मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले ही कागज पर मृत साबित करने की कोशिश की जा रही है। यह पूरा खेल भले ही खुद को पाक साफ बचाने के लिए किया जा रहा हो मगर उज्जैन और मध्य प्रदेश के लाखों लोग आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की लापरवाही के किस्से देख और सुन चुके हैं। यह बात अलग है कि मेडिकल कॉलेज पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, मगर यह बात भी सही है कि कुछ फैसले ऊपरवाला करता है और जब उसका फैसला होता है तो फिर केवल न्याय होता है। इसी न्याय का उज्जैन के लोगों को इंतजार है।
एसएसपी ने थपथपाई थी पीठ..
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर ने जब उज्जैन में ज्वाइन किया था, उस समय स्वस्थ संसार व्यायामशाला द्वारा पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के संचालक शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके, देवेंद्र कुशवाहा, मुजफ्फर हुसैन आदि थे उस समय जब पहली बार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पार्षद मुजफ्फर हुसैन की मुलाकात हुई थी तो श्री अतुलकर ने पार्षद की पीठ थपथपाई थी। उन्होंने कहा था कि जनप्रतिनिधि होने के बावजूद व्यायाम के लिए आप समय निकाल रहे हैं यह बड़ी बात है।