उज्जैन/इंदौर। सिंधिया के कारण ही मैंने कांग्रेस छोड़ी थी और अब बीजेपी में ऐसे हालात बन रहे हैं । पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने ऐसे संकेत दे दिए हैं कि वे एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ मैदान संभालने वाले हैं। मतलब साफ है कि पूर्व सांसद गुड्डू का बीजेपी से मोहभंग हो गया है और वे कांग्रेस का दामन थाम कर सांवेर उपचुनाव में बीजेपी से दो-दो हाथ करने को तैयार है।
अपने तीखे तेवर से पहचाने जाने वाले पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू एक बार फिर बगावती अंदाज में नजर आ रहे हैं। इस बार भी उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है । पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू शुरू से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर विरोधी रहे हैं। अब उनके फिर बयान सामने आने लगे हैं। श्री गुड्डू कई सालों से श्री सिंधिया के खिलाफ एक ही पार्टी में रहकर भी विरोध करते आए हैं। अब उनका कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण उन्होंने कांग्रेस छोटी थी और अब बीजेपी में भी ऐसे हालात बन गए हैं।
पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू साल 1998 में सावेर से चुनाव लड़कर ऐतिहासिक जीत दर्ज करा चुके हैं। उन्होंने उस समय भाजपा के एक कद्दावर नेता को चुनाव हराया था। सांवेर सीट से चुनाव जीतने के बाद भी उन्हें अगले चुनाव में यह सीट छोड़ कर आलोट जाना पड़ा। पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू एक बार फिर सांवेर विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सामंतवादी ताकतों को हराने के लिए सांवेर उपचुनाव सीट से उनका जीतना बेहद जरूरी है। यह तो वक्त ही बताया कि जीत किसकी होगी लेकिन पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के बगावती तेवर अपनाने की वजह से सावेर उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की चुनौतियांं काफी बढ़ गई है।
तुलसी सिलावट v/s प्रेमचंद गुड्डू
उज्जैन जिला से लगे सांवेर विधानसभा चुनाव में प्रेमचंद गुड्डू और तुलसी सिलावट के बीच कांटे का मुकाबला हो सकता है। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट सांवेर विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं जबकि श्री गुड्डू भी सांवेर विधानसभा सीट से जीते हुए प्रत्याशी रह चुके हैं। दोनों ही नेताओं की अपनी अपनी पकड़ है। हालांकि प्रेमचंद गुड्डू ने सांवेर विधानसभा क्षेत्र के लोगों से हमेशा ही काफी अच्छा संपर्क रखा है। श्री गुड्डू जहां से भी एक बार चुनाव जीत जाते हैं वहां पर अपनी गहरी पकड़ बना लेते हैं । उनके संबंध भी काफी प्रगाढ़ और पुराने है। इसका लाभ उन्हें जरूर मिलेगा। दूसरी तरफ मंत्री तुलसी सिलावट को जिताने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एड़ी चोटी का जोर लगाएंगे। कुल मिलाकर पूरे प्रदेश की नजरें सांवेर उपचुनाव पर आकर टिक गई है। हालांकि महामारी कोरोना के चलते उपचुनाव की पूरी तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है। इतना जरूर है कि चुनाव की तस्वीर साहब होने के पहले ही सियासी रस्साकशी तेज हो गई है।