उज्जैन कलेक्टर ने कहा था महामारी एक्ट में सर्वाधिकार है लेकिन ठेकेदार समझ नहीं पाया

उज्जैन। इंदौर से भले ही अधिकारियों के घुटने टेकने की खबरें सामने आ रही हो लेकिन उज्जैन में ऐसे लोगों के घुटने टिकवाए जा रहे हैं, जो सालों से सरकार को चूना लगा रहे थे उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने पदभार ग्रहण करने के बाद ही स्पष्ट रूप से कह दिया था कि महामारी एक्ट में सर्वाधिकार जिलाधीश के पास होते हैं लेकिन गेहूं परिवहन का ठेका लेने वाला ठेकेदार समझ नहीं पाया।
उज्जैन में हर साल यह देखने में आता है कि गेहूं परिवहन का ठेका कतिपय ठेकेदारों द्वारा ले लिया जाता है लेकिन बारिश शुरु होने के बावजूद भी गेहूं को परिवहन नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से हर साल सरकार को लाखों करोड़ों का नुकसान होता है। गेहूं भीगने की खबरें सामने आने के बाद सरकार की छवि पर भी असर पड़ता है, लेकिन उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने इस परिपाटी को बदलने के लिए बड़े कदम उठाना शुरू कर दिए हैं । उनके द्वारा पूर्व में ठेकेदार पर ₹10 लाख का जुर्माना ठोका गया था। इसके अलावा उनके द्वारा अभी निजी वाहनों के जरिए भी गेहूं को उठाने की कार्रवाई करवाई जा रही है। इसके लिए उज्जैन का परिवहन अमला गाड़ियों को अधिग्रहित कर रहा है। इन सब खबरों के बीच परिवहन का ठेका लेने वाले ठेकेदार गणेश का इंदिरा नगर स्थित मकान को नगर निगम में तोड़ दिया । मकान के अवैध हिस्से को तोड़ने से तिलमिलाए ठेकेदार ने उज्जैन कलेक्टर पर ही आरोप मढ़ दिया है। हालांकि कार्यवाही नगर निगम द्वारा की गई है। इस पूरे मामले को लेकर जब उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह से मकान तोड़ने की कार्रवाई को लेकर पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि किस का मकान नगर निगम ने तोड़ा है, इस बात की जानकारी नहीं है । हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि ठेकेदार द्वारा काम ठीक नहीं किए जाने की वजह से जिला प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर परिवहन विभाग के माध्यम से गाड़ियों का अधिग्रहण कर खुले आसमान के नीचे पड़े गेहूं को वेयर हाउस तक पहुंचाया जा रहा है। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह दबंग आईएएस अफसरों में शामिल है जो महामारी एक्ट के सर्वाधिकार का उपयोग करना जानते हैं। भले भले ही ठेकेदार का मकान नगर निगम ने तोड़ा हो लेकिन जिला प्रशासन और सरकार की नींद हराम करने वाले लोगों को यह संदेश चला गया है कि उज्जैन का जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन ऐसे लोगों को भी चेन की नींद नहीं सोने देगा।

गेहूं के परिवहन में देरी से होता है भ्रष्टाचार

गेहूं के परिवहन में देरी से भारी भ्रष्टाचार की होता है। नीचे के तबके के कर्मचारियों पर कई बार यह भी आरोप लगा है कि गेहूं को खराब बताकर नुकसान बता दिया जाता है । ऐसी स्थिति में सरकार को चूना लगता है। कई बार बारिश का हवाला देते हुए अनाज की बोरियों में कीचड़ लपेट दिया जाता है जिससे वजन भी बढ़ जाता है और गेहूं निकाल लिया जाता है। ऐसी तमाम शिकायतें हर साल देखने में आती रही है। यही वजह है कि उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह पुरा मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। 

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