महाकाल की सवारी तो निकलेगी लेकिन संघ भी तय करेगा स्वरूप..?

उज्जैन। हिंदू समाज की सबसे बड़ी ताकत और विश्व का सबसे बड़ा संगठन, धर्म की राह में हमेशा सबसे आगे खड़े होने वाले संघ के पदाधिकारी और सरकार के नुमाइंदों के साथ-साथ जनप्रतिनिधि और अफसर भक्तों के साथ तय करेंगे भगवान महाकाल की सवारी का स्वरूप कैसा हो ? हालांकि यह तो तय माना जा रहा है कि भगवान महाकाल की सवारी जरूर निकलेगी मगर कोरोना महामारी के चलते इसका स्वरूप बदला हुआ नजर आएगा। देखिये खास रिपोर्ट।

ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में जब प्रकृति अपने पूरे शबाब पर होती है तब राजाधिराज महाकाल प्रजा को दर्शन देने के लिए खुद भ्रमण पर निकलते हैं। यह भी कहा जाता है कि जो लोग भगवान महाकाल के दरबार में नहीं जा पाते हैं उनके हालचाल जानने के लिए खुद दयालु राजाधिराज महाकाल निकल पड़ते हैं । इस दौरान वे प्रजा के साथ-साथ पशु पक्षियों के हाल भी जानते है। कोरोना काल में इन दिनों सोशल मीडिया पर भगवान महाकाल की सवारी को लेकर कई बातें वायरल हो रही है। अभी तक कुछ भी सवारी को लेकर तय नहीं हुआ है लोग भ्रामक जानकारियां शेयर कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि इस बार सवारी निकलेगी मगर आम लोगों को आने की अनुमति नहीं रहेगी । इसके अलावा सावन माह में निकलने वाली 5 सवारियों और भादो मास की 2 सवारियों को लेकर अलग-अलग जानकारी अभी प्रचारित की जा रही है । फिलहाल आज दिनांक तक जिला प्रशासन द्वारा सवारी को लेकर कोई भी निर्णय नहीं हुआ है लेकिन जल्द ही सवारी को लेकर रूपरेखा बना ली जाएगी।

सत्तारूढ़ पार्टी की राजनीति से जुड़े लोगों के मुताबिक संघ के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि के साथ-साथ सरकार के प्रतिनिधि इस पूरे मामले में विचार-विमर्श करेंगे इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा। सांसद अनिल फिरोजिया के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद राजाधिराज के परम भक्त हैं । वे हर साल सवारी में आते हैं ऐसी स्थिति में उनसे भी रायशुमारी कर निर्देश प्राप्त किए जााएंगे। इसके अलावा संघ के पदाधिकारियों से भी चर्चा की जाएगी । जिला प्रशासन द्वारा बनाई जाने वाली रणनीति में धार्मिक भावनाओं का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा किसी के स्वास्थ्य पर कोई खतरा नहीं हो, इस बात का भी पूरी तरह ध्यान रखना होगा। सवारी को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि अभी खुल कर कोई बात नहीं की जा सकती है मगर धर्म और सुरक्षा का मिलाजुला स्वरूप भी सवारी की रूपरेखा का सार है।

विधायक मोहन यादव के मुताबिक सवारी तो परंपरा अनुसार निकलनी चाहिए मगर उसका स्वरूप कैसा हो और लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना ना करना पड़े । कोरोना की वजह से संक्रमण फैलने से भी रोका जा सके।  इन सब बातों को समाहित करते हुए ही आगे निर्णय लिया जाना चाहिए । इसी प्रकार की प्रतिक्रिया अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भी दी जा रही है। फिलहाल जिला प्रशासन के सामने सवारी को लेकर कई मास्टर प्लान है। इन पर भी विचार हो सकता है ।

“उज्जैन चर्चा” के मुताबिक भगवान महाकाल की सवारी निकलना तो चाहिए मगर सवारी महाकालेश्वर मंदिर से शुरू होकर बड़े गणपति होते हुए रामघाट पर पूजन अर्चन के बाद वापस मंदिर लौट जानी चाहिए। यदि सवारी में परंपरागत मार्ग से लंबा रूट बनाया जाता है तो ऐसी स्थिति में पूरी व्यवस्था संभालना मुश्किल हो जाएगा। भगवान महाकाल की सवारी को प्रतीकात्मक रूप में ही निकाला जाना चाहिए तथा इसका सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिए ताकि लोगों को सुगमता से घरों से सवारी के दर्शन हो सके । हालांकि आने वाले दो-तीन दिनों में स्थिति और भी स्पष्ट हो जाएगी।  

न्यायलय में जा सकता है मामला

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की तरह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की सवारी का मामला भी माननीय न्यायालय के समक्ष जा सकता है। शहर के कई समाजसेवी इस पूरे मामले को लेकर रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं । माननीय न्यायालय ने जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर स्पष्ट रूप से संविधान की धाराओं का उल्लेख करते हुए कहा है कि धार्मिक यात्रा के दौरान किसी प्रकार का स्वास्थ्य संबंधी खतरा ना हो इसका ध्यान रखा जाना आवश्यक है। इस आदेश में कोरोना काल के दौरान धार्मिक आयोजन में लाखों लोगों के एक स्थान पर एकत्रित होने पर भी रोक लगा दी गई है। 

सवारी (सावन और भादौ)- 
प्रथम सवारी दिनांक:-(6जुलाई2020)
द्वितीय सवारी :-(13जुलाई 2020)
तृतीय सवारी :-(20जुलाई2020)
चतुर्थ सवारी :-(27जुलाई2020)
पंचम सवारी :-(3अगस्त2020)
भादौ की पहली सवारी दर्शन दिनांक:-(10अगस्त2020)
शाही सवारी:-(17अगस्त2020)

किसने क्या कहा ?

कोरोना काल में भगवान महाकाल की सवारी बड़ा विषय है, अभी इस बारे में कोई विचार नहीं हुआ है सभी के साथ मिलकर विचार कर निर्णय लिया जाएगा ।

– आशीष सिंह, कलेक्टर, उज्जैन

– सोशल मीडिया पर जो अफवाह चल रही है वह गलत है। अभी महाकालेश्वर मंदिर की सवारी को लेकर कोई औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है।

– मनोज सिंह, पुलिस अधीक्षक, उज्जैन

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