उज्जैन कलेक्टर तिलमिलाएं बोले- अब खैर नहीं..

उज्जैन। कोरोना काल में भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर में नियम तोड़ कर जाने वाले लोगों को देखकर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह तिलमिला उठे हैं । उन्होंने सभी पर कार्रवाई के संकेत दिए हैं ।कलेक्टर ने सीसीटीवी वीडियो निकलवा कर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने को कहा है । इसमें पुलिस कर्मचारी और अधिकारी भी प्रभावित होंगे। 

 

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के पट साल भर में एक बार खुलते हैं। शिव भक्तों को साल भर इसका इंतजार रहता है । अगर हम पिछले साल की बात करें तो भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने के लिए कतार गोपाल मंदिर तक पहुंच गई थी। इस बार कोरोना की वजह से सभी को ऑनलाइन दर्शन के निर्देश दिए गए थे। मध्य प्रदेश के कई वीआईपी तक मंदिर में दर्शन नहीं कर पाए । विधायक और मंत्री लगातार प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के संपर्क में रहे लेकिन उन्हें दर्शन नहीं हो पाए । जहां पर मंत्री दर्शन नहीं कर पाए, वहां पर संत्री और सिक्योरिटी गार्ड सेल्फी लेते हुए दिखाई दिए।

यह पूरा घटनाक्रम देखकर उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह काफी नाराज है । उन्होंने एक एक शख्स का वीडियो निकलवा लिया है। बताया जाता है कि कुल 93 लोगों ने बिना अनुमति के दर्शन किए हैं, इनमें 35 पुलिसकर्मियों और अधिकारी भी शामिल है। इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर समिति के सुरक्षाकर्मी भी वीडियो और फोटो में दिखाई दे रहे हैं । इन सभी पर अलग-अलग कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जा रही है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि गोलू शुक्ला और दीपेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ-साथ अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि उज्जैन एसपी मनोज कुमार सिंह को एक पत्र भेजा गया है जिसमें ड्यूटी पर लापरवाही बरतते हुए दर्शन करने पहुंचे पुलिसकर्मियों को निलंबित करने की सिफारिश की गई है । उधर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने भी कार्रवाई के संकेत दे दिए है। यह पहला मौका है जब प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी तालमेल के साथ अव्यवस्था फैलाने वालों के खिलाफ संयुक्त रूप से कार्रवाई कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अनुशासनहीनता और लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की ड्यूटी आम श्रद्धालुओं को रोकने के लिए लगाई गई थी और वे नाकामयाब रहे उन्हें भी निलंबित किया जा सकता है। इसके अलावा वेतन वृद्धि रोकने के निर्देश भी दिए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त निजी सुरक्षाकर्मियों को भी नौकरी से पृथक करने की रणनीति बनाई जा रही है । एक-दो दिनों में नोटिस देकर कुछ निजी सुरक्षाकर्मियों को भी मंदिर परिसर से हटा दिया जाएगा। 

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