उज्जैन । फर्जीवाड़े के अवसर कैसे बनाए जाते हैं ? यह चालाकी कोई नगर निगम के उन लोगों से सीखे जिन्होंने कोरोना काल में भी “माल ही माल” कमाने का अवसर ढूंढ लिया। नगर निगम के फर्जी रसीद कट्टे ही छपा लिए। इस पूरे मामले की पूरी खबर और कैसे हुआ खुलासा ? देखिए “उज्जैन चर्चा” के साथ।
उज्जैन नगर निगम का एक सनसनीखेज फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस फर्जीवाड़े की पूरी कहानी सुनकर आप दंग रह जाएंगे। उज्जैन में कोरोना काल में प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर नगर निगम के माध्यम से ऐसे लोगों के चालान बनाए जा रहे थे जो सरकारी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं लेकिन चालान में जिन रसीद कट्टो का उपयोग किया जा रहा था वह फर्जी होने की आशंका बन गई है।
दरअसल उज्जैन नगर निगम के अधिकारी सुबोध जैन फ्रीगंज में एक वाइंडिंग की दुकान पर रसीद कट्टे की वाइंडिंग होती देख दंग रह गए । उन्होंने पूछा कि यह वाइंडिंग किसने करवाई है तो वाइंडिंग करने वाले बोहरा व्यापारी ने कहा कि फ्रीगंज की छपाई प्रिंटिंग चलाने वाले विकास नमक युवक ने उन्हें काम दिया है। इस बात की जानकारी सुबोध जैन वरिष्ठ अधिकारियों को दी । इसके बाद पड़ताल शुरू हुई तो पता चला की रसीद कट्टे फर्जी थे। इस खबर ने पूरे नगर निगम में हड़कंप मचा दिया।
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई है। आशंका है कि काल में उज्जैन में लाखों रुपए की फर्जी रसीद काटी गई है। इस पूरे मामले को लेकर जांच के आदेश हो गए हैं । बताया जाता है कि विकास और वाइंडिंग करने वाले को हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि विकास की इतनी गलती जरूर थी कि उसने प्रिंटिंग की ऑर्डर देने वाले का नाम और मोबाइल नंबर नहीं लिया था ।अब उसको ढूंढा जा रहा है जिसने प्रिंटिंग करने का आर्डर दिया था। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को पकड़ कर पूरे मामले का पर्दाफाश करने का दावा किया है लेकिन पुलिस के पास कई सवालों के जवाब नहीं है। इस पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के मैदान संभालने के बाद ही बड़े खुलासे हो सकते हैं। बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित कर रही है, मगर नगर निगम डिजिटल पेमेंट लेने की बजाय मैन्युअल ही जुर्माने का पेमेंट वसूल रही है।
जुर्माना भरा हो तो रसीद संभालकर रखना..
अगर कोरोना काल में आपका भी कोई फाइन हुआ है तो आप अपनी रसीद को संभाल कर रखिए । हो सकता है कि आपके हाथ फर्जी रसीद आ गई हो। अगर ऐसा होता है तो पूरा घोटाला कितनी राशि का हुआ है यह उज्जैन की जनता तय कर देगी। फिलहाल प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच शुरु करवा दी है। अधिकारी कोई आधिकारिक बयान नहीं दे रहे है लेकिन इतना जरूर है कि घोटाला लाखों में निकल सकता है।