उज्जैन में कोरोना से निगम ठेकेदार के भाई की मौत

उज्जैन।  धार्मिक नगरी उज्जैन में लगातार मौत की रफ्तार बढ़ रही है कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ने से दहशत का माहौल एक बार फिर बन गया है । उज्जैन नगर निगम के ठेकेदार के भाई कृषि उपज मंडी के अनाज व्यापारी की आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में बुधवार शाम इलाज के दौरान मौत हो गई। पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है- 

नगर निगम के ठेकेदार ने बताया कि उनके भाई को हृदय संबंधी समस्या होने के लिए की वजह से उपचार के लिए इंदौर के निजी अस्पताल ले जाना था। इंदौर के निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने सलाह दी कि कोविड का टेस्ट करा कर बांबे हॉस्पिटल में भर्ती हो जाएं। इसी सलाह पर 31 अगस्त को कोविड का टेस्ट कराया गया, उन्हें कोई लक्षण या समस्या नहीं थी। परिवार वालों को यकीन था कि केवल औपचारिकता मात्र निभाई जाना है लेकिन जब रिपोर्ट आई तो कृषि उपज मंडी के अनाज व्यापारी को पॉजिटिव बता दिया गया। इसके बाद उन्हें आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। परिवार के लोगों का कहना है कि 6 तारीख को एक और टेस्ट होने की खबर मिली है जिसमें व्यापारी नेगेटिव आ गए। हालांकि इसकी औपचारिक जानकारी अस्पताल द्वारा उन्हें अभी तक नहीं दी गई लेकिन इसके बावजूद अस्पताल से छुट्टी नहीं दी गई। इसी बीच व्यापारी लगातार डिप्रेशन में चले गए।

पीड़ित परिवार के मुताबिक वे लगातार अपने परिवार के सदस्य को निजी अस्पताल में भर्ती कराने हेतु प्रयासरत रहे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। उन्हें यह भी जानकारी मिली है कि मंगलवार शाम तक व्यापारी की तबीयत बिल्कुल ठीक थी । इसके बाद लगातार छुट्टी की जिद कर रहे थे इस दौरान उन्हें रस्सी से बांध दिया गया। अस्पताल में जब टिफिन देने के लिए व्यापारी के परिचित पहुंचे तो उन्होंने अपनी आंखों से व्यापारी को रस्सी से बंधे हुए देखा। बताया जाता है कि व्यापारी घर जाने की जिद कर रहे थे जिसके बाद उन्हें रस्सी से बांध दिया गया।  हालांकि इसकी पुष्टि “उज्जैन चर्चा” द्वारा नहीं की जा रही है लेकिन पीड़ित परिवार ने यह गंभीर आरोप लगाया है। परिवार के सदस्यों का यह भी कहना है कि बुधवार को उन्हें जबरन आईसीयू में डाल दिया गया। जब वे छुट्टी कराने पहुंचे तो उन्हें मौत की खबर दे दी गई । उज्जैन में कोरोना से लगातार मौत की रफ्तार तेज हो रही है ।ऐसे में लोगों को सरकारी गाइडलाइन का पालन करने की जरूरत है ।

डिप्रेशन में चले जाते है कई लोग

आमतौर पर उज्जैन के लोगों को 10 से 15 दिन तक अस्पताल में रहने की आदत नहीं है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने का मौका होता है तो कई लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं कई बार यह डिप्रेशन मौत का कारण भी बन जाता है। 

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