उज्जैन जहरीली शराब काण्ड..तंत्र पर खड़े खडे़ सवाल..

*(शैलैष व्यास)*
*महाकाल* की नगरी उज्जैन में जहरीला शराब पीने मौत के बाद शासन में भारी हलचल के साथ सरकारी मशीनरी हरकत में आ तो गई हैं, पर इस घटना ने तंत्र पर कई सवाल खडे़ कर दिए हैं। सबसे बड़ी बात तो यह कि घटना स्थल और जहरीली शराब (डीनेचर्ड स्पिरिट) या यूं कहे कि झिंझर (टिंक्चर) का नशे के तौर उपयोग के लिए विक्रय जिस स्थान से हो रहा था या हो रहा हैं वह सुरक्षा के लिहाज से अतिसंवेदनशील स्थल महाकाल मंदिर से अधिक दूर नहीं हैं। सरकार अपने काम (जांच) पर लग चुकी हैं। मीडिया को खबर का जखीरा मिल गया हैं….आगे और फिर जांच के बाद क्या होगा…? मुझे पता नहीं..। मेरे मन में केवल यहीं सवाल हैं कि अतिसंवेदनशील क्षेत्र के प्रति तंत्र कितना गंभीर हैं। इस पर तो कोई बात ही नहीं कर रहा हैं। लकीरें पीटने का काम चालू हो गया हैं। अधिकारियों, कर्मचारियों पर गाज गिरने लगी हैं… पर प्रश्न तो यह भी हैं कि जिन अधिकारियों,कर्मचारियों को निलंबित किया जा रहा उनके ऊपरतंत्र पर खड़े हुए भी तो कोई होगा…..ऊपरवालों ने क्या किया….कभी यह देखने की जेहमत की,उनका अधिनस्थ अमला क्या कर रहा हैं…? अधिनस्थ क्या करते हैं.. क्या कर रहे हैं कभी देखा ही नहीं.. बहरहाल फिर आते हैं संवेदनशील क्षेत्र पर…?आखिर खुफिया तंत्र नाकाम क्यों हैं….? उत्तर प्रदेश के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर बेखौफ महाकाल मंदिर यानि सुरक्षा के लिहाज से अतिसंवेदनशील क्षेत्र में आते हैं और पुलिस या प्रशासन को बाद में जानकारी मिलती हैं…. बाद में पकड कर स्वयं की पीठ थपथपाई जाती हैं….। अब धार्मिक स्थल और वह भी संवेदनशील इसके आसपास नशे के अवैध कारोबार ने कमजोर तंत्र को सामने ला दिया। घटना ने क्षेत्र में पुलिस के खुफियातंत्र के साथ महकमे की लापरवाही की पोल खोल दी। पुलिस मिलीभगत उजागर कर दिया। प्राथमिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इस तरह के नशे की लत मृतकों को काफी समय से थी इसका मतलब प्रशासन की नाक के नीचे जहरीला रसायन भी खुले आम बाजार में बिक रहा था,जिसकी सुध लेने वाला कोई नही था ?

Leave a Reply

error: