स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में कोरोना विस्फोट का खतरा !

उज्जैन।  धार्मिक नगरी उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए स्मार्ट सिटी का एक दफ्तर भी खुला लगा गया है। यह दफ्तर सिंहस्थ मेला कार्यालय में खुला गया है लेकिन यहां कोरोना विस्फोट का खतरा साफ दिखाई दे रहा है। कंसल्टेंसी के कर्मचारियों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी भी यहां बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं । देखिए पूरी रिपोर्ट। 

धार्मिक नगरी उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, मगर स्मार्ट सिटी के दफ्तर की बात करें तो यहां पर कोरोना काल में सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में सरकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं । यहां तक कि मास्क भी नहीं लगाया जा रहा है, इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ अन्य गाइडलाइन का भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अगर दफ्तर में कोई भी संक्रमित अन्य लोगों के संपर्क में आया तो एक बड़ा विस्फोट सामने आ सकता है । इस पूरे मामले को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से कार्रवाई करने को कहा है । एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर सरकारी मुलाजिम भी कोरोना की गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें भी पकड़ कर स्थाई जेल में भेजा जाएगा। इसके अलावा स्मार्ट सिटी के दफ्तर में भी छापामार कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान जो लोग बिना मास्क के नजर आएंगे उन्हें पकड़ा जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे मामले में बड़ी लापरवाही देखकर आश्चर्य जताया है । बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी के सीईओ श्री जितेंद्र सिंह वर्तमान में अस्वस्थ हैं , इसी वजह से स्मार्ट सिटी दफ्तर के कर्मचारी बेलगाम दिखाई दिए। 

लोगों को दी जा रही है कोरोना से बचाव की सलाह

स्मार्ट सिटी के दफ्तर में कंट्रोल रूम बनाया गया है , यहां से कोरोना से बचाव की गाइडलाइन भी बताई जा रही है। इसके अलावा यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ भी चालानी कार्रवाई यहीं से चल रही है लेकिन यहां के कर्मचारी कितना सरकारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं यह तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है । यह बात अलग है कि उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने भी पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। बताया जाता है कि यहां पर यातायात विभाग का भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए है जो बिना मास्क के घूमते हुए दिखाई दिए। इस पूरे मामले को पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने भी गंभीरता से लिया है। 

अगर स्मार्ट सिटी का दफ्तर नहीं होता तो..

 स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम में जो लापरवाही बरती जा रही है अगर यह कहीं आम व्यापारी या उद्योगपति द्वारा सामने आती तो शायद मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता था। इसके अलावा प्रतिष्ठान को सील करने की कार्रवाई भी हो सकती थी। उज्जैन शहर में आम लोग तो मास्क और सैनिटाइजर साथ में लेकर घूम रहे हैं जबकि स्मार्ट सिटी का दफ्तर में इतनी बड़ी लापरवाही हर किसी को चौंका कर रही है।

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