टिप्पणी : गोपाल वाजपेयी
खीर सिर ते काटी के मलियत लौंन लगाय,
रहिमन करुए मुखन को चाहिए यही सजाय।
अर्थ : खीरे के कड़वेपन को दूर करने के लिये उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद उस पर नमक लगाया जाता है। कड़वे शब्द बोलने वालों के लिये यही सजा ठीक हैं।
विनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति,
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति।।
रामचरितमानस का यह संदेश या नीति बहुचर्चित है और मान्य भी। यह उल्लेख उस प्रसंग से है। जब श्रीराम लक्ष्मण के साथ विनयपूर्वक समुद्र तट पर बैठ गए थे, इस आशा में कि वह उनकी सेना को पार जाने में सहायता करेगा। किंतु जब विनयपूर्वक अनशन, अनुरोध का कोई प्रभाव नहीं हुआ। तब श्रीराम समझ गए कि अब अपनी शक्ति से उसमें भय उत्पन्न करना अनिवार्य है।
वर्तमान संदर्भ में इसे यूं भी कह सकते हैं कि प्रशासक को सख्त होना चाहिए। अगर प्रशासक सख्त नहीं होगा तो अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी उसके निर्देश गंभीरता से नहीं लेंगेे। कुछ दिन से उज्जैन जिला पुलिस में ऐसी ही सख्ती दिख रही है। इसलिए आजकल पुलिस में यह चर्चा जोरों पर है कि आज किसका नंबर? पुलिस अधीक्षक सचिन अतुलकर को उज्जैन जिले का कार्यभार संभाले हुए साढ़े तीन माह हुए हैं। शुरू के दो माह वह उज्जैन जिला पुलिस के रंग-ढंग समझते रहे। इसके बाद चाबुक चलना शुरू हो गया। गत डेढ़ माह में एसपी ने जिले में ३५ से ज्यादा पुलिस कर्मियों को निलंबित किया। लपेटे में आए ये सभी पुलिस की छवि को बदनाम कर रहे थे। देखें बानगी-
केस-१ : फर्जी सांसद प्रतिनिधि बनकर मारपीट करने के मामले में गलत रिपोर्ट लिखने पर नीलगंगा थाना प्रभारी निलंबित।
केस-2 : महिला से छेड़छाड़ के मामले में रिपोर्ट नहीं लिखने व परेशान करने से नाराज एसपी ने एक एसआई व हेड कांस्टेबल को निलंबित किया। साथ ही देवासगेट थाना व महिला थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
केस-३ : गांजा बेचने वाले से हफ्तावसूली करने पर भैरवगढ़ थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया।
केस-४ : बिरलाग्राम व घटिट्या थाना क्षेत्र में अवैध शराब बिकने की शिकायत पर एसपी ने दोनों थानों के टीआई को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा। बीट के एक एसआई व दो एएसआई समेत छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया।
केस ५ : भ्रष्टाचार की शिकायत सही पाए जाने पर नरवर थाना प्रभारी को लाइन अटैच किया।
केस ६ : लापरवाही बरतने पर पानबिहार चौकी प्रबारी निलंबित। इधर, चिमनगंज थाने में तैनात दो कांस्टेबल को दादाागिरी करने पर लाइन अटैच किया।
धड़ाधड़ निलंबन व लाइन अटैच करने की कार्रवाई के कारण भले ही पुलिस थानों में स्टाफ कम हो गया है, लेकिन व्यवस्थाएं धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं। हालांकि अपराधों की गति अभी भी वैसी ही है। अच्छे संकेत ये हैं कि सख्ती के कारण अपराधी लगे हाथ पकड़े भी जा रहे हैं। जबकि वर्तमान में जिले के नरवर सहित शहर के कुल १२ पुलिस थानों में से आठ थाने सब इंस्पेक्टर के भरोसे हैं। ये थाने हैं नीलगंगा, महाकाल, नागझिरी, नानाखेड़ा, भैरवगढ़, खाराकुआं व कोतवाली। चार थाना प्रभारियों के ट्रांसफर काफी पहले हो चुके थे, वे जाना नहीं चाह रहे थे। उन्होंने काफी तिकड़म भिड़ाई, लेकिन एसपी ने उन्हें कार्यमुक्त कर दिया। यहां एक शायर की ये पंक्तियां प्रासंगिक हैं कि-
कोशिश न कर तू सभी को खुश रखने की,
नाराज तो यहां कुछ लोग खुदा से भी हैं…
कुछ दिनों से उज्जैन शहर सहित जिले के पुलिस थानों की आबोहवा बदली-बदली सी है। अब पुलिस थानों में तैनात पुलिसकर्मियों का पूरा जोर इस बात पर रहता है कि किसी भी हालत में शिकायत कप्तान साहब तक न पहुंचे। स्वाभाविक है कि इस डर के कारण उन्हें अपने कार्य व व्यवहार में सुधार करना पड़ रहा है। योजनाबद्ध अपराध बेहद कम हुए हैं। तत्कालीन अपराध के आरोपी कम समयावधि में पकड़े जा रहे हैं। किसी भी बड़ी वारदात में आरोपी अज्ञात नहीं हैं। चोरियां कम हुई हैं, लेकिन शहर में पुलिस गश्त को लेकर लापरवाही जारी है। विशेष कर इंदौर व देवास रोड पर वाहन चालकों से लूटपाट की घटनाएं नहीं रुक रहीं। महाकाल मंदिर के पहुंच मार्गों पर बदमाशों का जाल बिछा है। लाल गेट से लेकर नानाखेड़ा, शांति पैलेस की रोड से लेकर महाकाल मंदिर मार्ग पर शाम सात बजे के बाद दोपहिया वाहन चालकों के साथ लगातार वारदात हो रही हैं। महाकाल मंदिर के लिए जाने वाले शहर के अंदरूनी मार्ग पर भी देर रात तक अलग प्रकार के बदमाशों का जमावड़ा रहता है। महाकाल मंदिर जाने वाले वाहन इनके निशाने पर रहते हैं। ये बदमाश जबरन वाहन से टकराते हैं और साजिश के तहत इनके साथी वाहन पर टूट पड़ते हैं। मकसद एक ही होता है लूटपाट। इसलिए इन मार्गों पर पुलिस को बाकायदा अभियान चलाने की जरूरत है। इन पहुंच मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय नेे पुलिस अफसरों की साथ हुई मीटिंग में चिंता व नाराजगी जताई थी। इसलिए पुलिस को मैदानी काम करने पर भी फोकस करना पड़ेगा। पुलिस की गश्त तगड़ी होगी तो अपराध का ग्राफ निश्चित रूप से गिरेगा। अपराधियों में पुलिस का खौफ होना ही चाहिए। इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक को अब शहर के ट्रैफिक को लेकर सख्ती दिखानी चाहिए। स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर उज्जैन में ट्रैफिक अस्त-व्यस्त है। दो-तीन चौराहों पर ही ट्रैफिक पुलिस दिखती है। बस ऑपरेटर्स ने शहर की कई मुख्य सड़कों पार्किंग स्थल बना डाला है। कुछ सड़कों ने गैराज की शक्ल अख्तियार कर ली है। एसपी को एक सुझाव और पेश कर रहा हूं…पुलिस को सामाजिक होना पड़ेगा। मतलब, शहर के सामाजिक सरोकारों से वास्ता रखना होगा। पूर्व पुलिस अधीक्षक मनोहर वर्मा ने सीनियर सिटीजन के लिए संबल योजना चलाई थी। इसके तहत शहर के सभी वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा व सेवा का जिम्मा पुलिस ने अपने कंधों पर लिया था। हरेक बीट प्रभारी कांस्टेबल को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह अपने इलाके के सभी वरिष्ठ नागरिकों के घर हर सप्ताह जाएगा। ये योजना इतनी कारगर होने लगी थी कि अकेले रहने वाले बुजुर्ग बीमार होने पर भी बीट प्रभारी को कॉल करने लगे थे। पुलिस कप्तान स्वयं निगरानी कर रहे थे। वह स्वयं वरिष्ठ नागरिकों की मीटिंग बुलाकर उनके दु-ख दर्द से रूबरू हो रहे थे। ये देखकर पूरा पुलिस महकमा सीनियर सिटीजन की देखभाल में जुट गया था, लेकिन एसपी वर्मा के तबादले के साथ ही यह योजना ठप हो गई। इसे फिर से शुरू करने और आगे बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि …
रात तो वक्त की पाबंद है ढल ही जाएगी,
देखना ये है कि चरागों का सफर कितना है…
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Tuesday, December 24, 2024