उज्जैन। भाजपा की राजनीति के जरिए फर्श से अर्श तक पहुचने वाले दो बड़े जनप्रतिनिधियों के बीच इन दिनों शीत युद्ध चल रहा है। दोनों ही नेता संघर्षशील होने के साथ साथ समाज की राजनीति के जरिए लाखों लोगों के चुने हुए जनप्रतिनिधि के रूप में सेवारत हैं।
जी हां हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के सबसे युवा विधायक सतीश मालवीय और सांसद डाॅ चिंतामणि मालवीय की। इन दिनों दोनों ही नेता आमने-सामने है। दरअसल विधायक सतीश मालवीय अपने विधानसभा क्षेत्र के कुछ विकास कार्यों का नामांकरण अपने स्वर्गीय पिता श्री नागूलाल मालवीय के नाम पर करना चाहते हैं। दूसरी तरफ सांसद डाॅ मालवीय को इसलिए नाम को लेकर आपत्ति है कि स्वर्गीय मालवीय कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं।
इस पूरे विवाद में मालवीय समाज भी कूद गया है। मालवीय समाज सांसद का विरोध कर रहा हो। समाज के लोगों का कहना है कि समाज सबसे पहले आता है और दूसरे नंबर पर पार्टी। समाज के किसी भी व्यक्ति के नाम पर आपत्ति लेना समाज का सीधा विरोध करना है। मालवीय समाज के लोग सांसद की खुलेआम खिलाफत पर उतर आए है। मालवीय समाज के वरिष्ठजनों ने यह तक तर्क दिया है कि स्वर्गीय हो चुके समाज के लोगों को किसी राजनैतिक पार्टी से जोड़कर देखना भी गलत है।
इन सबके बीच सांसद समर्थकों का कहना है कि सांसद ने समाज का विरोध नहीं किया बल्कि जिला योजना समिति की बैठक में यह बात रखी थी कि स्वर्गीय नागूलाल मालवीय जी कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं। इसलिए विकास कार्यों का नामांकरण किसी और नाम पर किया जाना चाहिए।
दोनों ही पक्षों के लोग खुलकर सामने आ गए है। ऐसे में विधायक सतीश मालवीय और सांसद चिंतामणि मालवीय के बीच दरार और बढ़ गई है। दोनों ही अपनी अपनी बात पर कायम है। दरअसल विधायक सतीश मालवीय केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के सर्मथक है इसलिए भी कभी उनकी सांसद मालवीय से पटरी नहीं बैठी।
अब भाजपा संगठन चुनावी साल में दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रहे मतभेदों को दूर करने के प्रयास कर रहे है।