भोपाल। टीवी रिपोर्टिंग मतलब आंखों देखा हाल लेकिन जो टीवी में दिखता है, उस कहानी के पीछे भी कई ऐसी कहानियां होती है जो “आॅफ द स्क्रीन” कहलाती है। पेड़ तो सभी को दिख जाते है लेकिन जड़ देखने के लिए डाउन टू अर्थ होना पड़ता है। खबरों की बारीकियों को समझना और फिर दूसरों को समझाना इतना आसान नहीं होता है जितना समझा जाता है। शब्दों का जाल बूनकर तैयार की गई एक कहानी के पीछे दर्जनों लोगों की मेहनत लगी होती है। कहानी में कुछ ही लोग आॅन स्क्रीन होते है जबकि अधिकांश आफ द स्क्रीन रहकर भी कहानी का हिस्सा बन जाते है। खैर आप तो बस इतना समझ लीजिए देश के सबसे जानेमाने वरिष्ठ पत्रकार डाक्टर ब्रजेश राजपुतजी की “आॅफ द स्क्रीन” नाम से पुस्तक बाजार में आ गई है जो टीवी की कहानियाँ के रौचक पलों को समाहित किए हुए है। इसके अलावा टीवी रिपोर्टिंग पर झटपट अपनी प्रतिक्रिया देने वालों के भी यह किताब ज्ञान चक्षु खोल देगी। आप एक बार इस किताब का अध्ययन करेंगे तो लेखक की मेहनत की तारीफ जरूर करेंगे।
विक्रमसिंह जाट
उज्जैन
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Tuesday, May 20, 2025