उज्जैन। जब भी कोई चुनाव आता है एक माला में पिरोए कांग्रेस के सारे मोती तितर बितर हो जाते हैं.. या यूं कहें कि टूट कर बिखर जाते हैं तो गलत नहीं होगा.. इन दिनों छोटे-छोटे मुद्दे को लेकर बड़ी-बड़ी सियासत और इस सियासत के बीच कांग्रेस का जो फायदा या नुकसान हो रहा है.. उसका आकलन किया जाना बेहद मुश्किल है.. फिलहाल यहां बात हो रही है 28 जुलाई को उज्जैन के एक निजी होटल में हुई पत्रकार वार्ता की।
इस पत्रकार वार्ता में चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्रकारों के बीच कांग्रेस नेत्री नूरी खान को मंच से उठा दिया था। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बोलकर नूरी खान को मंच से कुर्सी सहित उठा दिया था कि इस मंच में केवल शहर कांग्रेस अध्यक्ष और चुनाव अभियान समिति के बड़े पदाधिकारी ही बैठेंगे । इस मामले को लेकर कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी तक अपनी आवाज पहुंचा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से नूरी खान ने पत्र लिखकर गुजारिश की है कि सार्वजनिक रूप से महिलाओं का तिरस्कार नहीं होना चाहिए । उन्होंने यह भी लिखा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के कहने पर आखिरी पंक्ति में भी बैठने को तैयार है लेकिन सार्वजनिक रूप से किसी का भी अपमान नहीं होना चाहिए। उन्होंने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा सभी पत्रकारों के बीच उन्हें मंच से उठाकर नीचे बिठाए जाने के मामले में भी स्पष्ट कहा कि सिंधिया जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था । उन्होंने यह भी कहा कि मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मीडिया पैनलिस्ट में शामिल है । इसके अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस की प्रवक्ता भी है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के बड़े नेताओं की पत्रकार वार्ता में मंचासीन होना उनका हक बनता है। कांग्रेस नेत्री नूरी खान इस मामले में चुनाव अभियान समिति के संभागीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को लेकर भी यह बात बोल रही है कि राजवर्धन सिंह ने उन्हें मंच पर बैठने के लिए कहा था । इस पूरे मामले में नूरी खान का कहना है भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। वह पार्टी फोरम में अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम है ।
दत्तीगांव ने कहा कि मैंने बैठने का नहीं बोला
पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने इस पूरे मामले को लेकर यह कहा है कि उन्होंने नूरी खान को मंच पर बैठने के लिए नहीं कहा था। श्री दत्तीगांव का कहना है कि उन्होंने नूरी खान से इतना जरूर कहा था कि वह पत्रकार वार्ता में मौजूद रहे। श्री दत्तीगांव का कहना है कि पंकज चतुर्वेदी जैसे वरिष्ठ प्रवक्ता स्वयं पत्रकारों के बीच बैठे थे। ऐसी स्थिति में नूरी खान को मंच पर आना ही नहीं था । उनका यह भी तर्क है कि जब पार्टी के आला नेता स्वयं पत्रकारों को संबोधित कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में प्रवक्ता की कोई आवश्यकता नहीं है । जब प्रवक्ता की आवश्यकता उस समय होती है जब पार्टी के बड़े नेता मौजूद नहीं हो और पार्टी को अपनी बात मीडिया तक पहुंचाना हो।
पूर्व विधायक राजेंद्र भारती ने भी खोला मोर्चा
पूर्व विधायक राजन्द्र भारती ने इस पूरे मामले को लेकर कहा है कि चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी के कुछ एजेंट सक्रिय हो जाते हैं जो कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं । श्री भारती ने यह भी कहा कि श्री सिंधिया उज्जैन में चुनाव अभियान समिति की बैठक को संबोधित करने आए थे। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी शामिल होने नहीं दिया गया जो चुनाव अभियान समिति के सदस्य नहीं थे । उन्होंने भी किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की । ऐसी स्थिति में छोटी सी बात को मीडिया के माध्यम से बड़ी बनाकर सुर्खियां बटोर नूरी खान की पुरानी आदत है । उनकी कार्यशैली शुरू से ही सुर्खियों में रही है । इससे पार्टी को नुकसान हो रहा है । श्री भारती ने कहा कि जिस प्रकार से कांग्रेस का चोला ओढ़कर कुछ असामाजिक तत्वों ने दीपक बाबरिया पर हमला किया है इसी प्रकार से हर बार चुनाव में कुछ असामाजिक तत्व कांग्रेस का चोला ओढ़कर भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम करते हैं। ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।