उज्जैन। आपने सनी देओल की फिल्म घायल का वह डायलॉग तो जरूर सुना होगा जिसमें फिल्म अभिनेता सनी देओल अदालत के अंदर खड़े होकर बोलते हैं कि तारीख पर तारीख.. तारीख पर तारीख.. अदालत में लोग न्याय के लिए आते हैं और उन्हें मिलती है तारीख..
इस डायलॉग का वर्तमान समय में कुछ मायने नहीं रह गए हैं क्योंकि उज्जैन में एसपी सचिन कुमार अतुलकर की कार्यप्रणाली के कारण पीड़ितों को ताबड़तोड़ न्याय मिल रहा है। आपको यकीन नहीं होगा एक मामले में तो 1 तारीख पर ही सजा हो गई। यह मामला नाबालिगों के बीच अपराध का था। उज्जैन जिले की घटिया तहसील के घटिया थाने का एक मामला 15 अगस्त की रात सामने आया था। दरअसल घटिया थाना क्षेत्र में रहने वाली 4 वर्षीय नाबालिक के साथ उसी के पड़ोस में रहने वाले 14 साल के नाबालिग बलात्कार की कोशिश की थी । आरोपी ने मानवता की सारी हदें पार करते हुए बलात्कार का प्रयास किया। इसके बाद बालिका ने घटना की जानकारी अपने परिवार वालों को दी । जब पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत की तो आरोपी बाल अपचारी मौके से फरार हो गया। वह अपने रिश्तेदार के यहां सिवनी भाग निकला। इस बात की जानकारी जब 16 अगस्त को पुलिस अधीक्षक सचिनकुमार अतुलकर को लगी तो उन्होंने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया। पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर एक पूरी टीम बनाई और इस अपराध को इतिहास के पन्नों पर दर्ज करने का प्रयास शुरू किया। इसके लिए जांच अधिकारी उपनिरीक्षक निनामा को टास्क दिया गया। इसके अलावा अधिकारी डॉक्टर प्रीति गायकवाड़ को महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने और डीएनए की जिम्मेदारी दी गई थी। डाक्टर गायकवाड ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए उक्त प्रकरण से जुड़ें सभी दस्तावेजों के साथ फाइल को बतौर सबूत के साथ DNA के लिए सागर भेजा। आमतौर पर सागर की लैब में कुछ ना कुछ क्वेरी जरूर निकाल दी जाती है , जिसके बाद फाइल को वापस भेजा जाता है और फिर फाइल कंप्लीट कर सागर लैब में एडमिट की जाती है । इस बार क्योंकि मामला संवेदनशील होने के साथ-साथ इतिहास रचने का था इसलिए ऐसी कोई कमी नहीं रखी गई जिसके कारण फाइल सागर से वापस लौट आए।

सागर में जैसे ही लैब में केस को डीएनए के लिए एडमिट किया गया, वैसे ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट जल्दी मिलने के प्रयास शुरू किए। चूंकि शनिवार और रविवार को लैब बंद रहती है लेकिन सागर लैब के डाक्टर प्रवेश भाटी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शनिवार को छुट्टी का दिन होने के बाद भी काम किया। डॉक्टर प्रवेश भाटी उज्जैन के ही रहने वाले हैं। उन्होंने रविवार को रिपोर्ट उज्जैन पुलिस के सुपुर्द कर दी। उज्जैन पुलिस ने रविवार की रात 2 बजे पुलिस अधीक्षक कार्यालय में रिपोर्ट आवक-जावक की। इसके बाद सोमवार की सुबह माननीय न्यायालय के समक्ष प्रकरण चालान के साथ प्रस्तुत किया गया। इस प्रकरण में रविवार सोमवार को लंच टाइम से पहले सभी गवाहों ने अपने-अपने बयान दर्ज कराएं। इसके बाद दोनों ही पक्षों में जिरह की। बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें दी जबकि पुलिस की ओर से महत्वपूर्ण साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए। इसमें DNA रिपोर्ट भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका में थी। ऐसी स्थिति में अदालत ने महज 6 घंटों के भीतर पीड़ित को न्याय दे दिया। शाम 5 बजे एक ऐतिहासिक फैसला आया जो देश के पन्ने पर दर्ज हो गया है। माननीय न्यायालय ने आरोपी नाबालिग को 2 साल की सजा से दंडित किया है । इस मामले में एडीओपी दीपेंद्र मालू की भूमिका भी काफी सराहनीय रही है।

पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर सागर में भी नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर गंभीरता से जांच करवाई और कई प्रकरणों में सजाएं हुई है । इसी वजह से सागर में अपराध का ग्राफ कम हुआ है और सागर को देश का सबसे सुरक्षित शहर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने घोषित किया है ।