उज्जैन पुलिस लगातार हाईटेक होती जा रही है जिसकी वजह से पुलिस ऐसे साक्ष्यों का संकलन विवेचना के दौरान कर रही है जिसके कारण आरोपियों को धड़ाधड़ सजाएं हो रही है। फॉरेंसिक जांच और डीएनए की पुलिस की तकनीक एक बार फिर कामयाब हुई है। माननीय न्यायालय के समक्ष पीड़ित और उससे जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य पक्षद्रोही हो गए लेकिन डीएनए ने रिपोर्ट ने ऐसा सच बोला कि आरोपी जीवन भर सलाखों के पीछे रहेगा। इस डीएनए रिपोर्ट को लेकर उज्जैन एसपी सचिन कुमार अतुलकर के निर्देश पर एफएसएल अधिकारी डाक्टर प्रीति गायकवाड़ की अहम भूमिका रही है। देखिये विस्तार से खबर।
उज्जैन। न्यायालय श्री विकास शर्मा, पंचम अपर सत्र न्यायाधीश जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपी सिद्धसिंह पिता लाल सिंह निवासी न्यू इंदिरानगर उज्जैन को धारा 376(2)(एफ) भा.द.वि. तथा 3/4 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 में शेष प्राकृतिक जीवन तक का सश्रम आजीवन कारावास तथा 1000 रूपये से दंडित किया गया।
उप-संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि पीड़िता ने दिनंाक 20.02.2018 को थाना नानाखेडा पर रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह और उसकी मॉ और उसके दो छोटे भाई आरोपी के साथ उसके साथ पिछले 03 साल से उसके सगे पिता काफी समय से रह रहे है। पीडिता की मॉ ने आरोपी के साथ मंदिर में हार डालकर शादी कर ली है, इसलिये वहा लोग आरोपी के साथ रहते है दिनंाक 19.02.2018 को उसकी मॉ एक कार्यक्रम में मंगलनाथ गई थी। वह आरोपी के रेस्टोरेंट पर रिस्पेशन पर बैठी थी। रात करीब 11ः30 बजे पीडिता ने आरोपी से कहा कि वह उसे घर पर छोड दें। तो आरोपी मुझे घर पर छोडने आया था तब दरवाजा अटका था अंदर गये तो पीडिता के दोनो भाई पेटी पर सो रहे थे। आरेापी ने लाईट बंद कर दी और पीडिता के साथ दुष्कर्म किया। पीडिता चिल्लाई तो दोनो भाई जाग गये वह रो रही थी लाईट बंद होने के कारण उसके भाई पीडिता को नही देख पाये। आरोपी ने लाईट चालू कर दी और पीडिता के छोटे भाईयों को कहा कि तुम्हारी बहन को होटल से जल्दी ले आया तो वह रो रही हैं। आरोपी ने पीडिता से कहा कि यह बात किसी को बताई तो तुम्हे और तुम्हारी मॉ को जान से खत्म कर दूंगा और लात थप्पड से मारपीट कर धमकी देता हुआ घर से चला गया। पास में रहने वाली उसकी मामी आई तो पीडिता ने सारी घटना उनको बताई, पीडिता की मॉ और उसके मामा आने पर उन्हें भी घटना बताई थी। थाना नानाखेडा द्वारा आरोपी के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था।
विचारण के दौरान न्यायालय में पीड़िता के द्वारा अभियुक्त से समझौता कर समझौता आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था, तथा पीडिता व उसकी मॉ पक्षद्रोही हो गई थी। अनुसंधान में पुलिस द्वारा पीडिता व आरोपी से प्राप्त साक्ष्य का डीएनए कराया गया था डीएनए की रिपोर्ट पोजीटिव पाई गई। अभियोजन अधिकारी श्री राजकुमार नेमा द्वारा डीएनए रिपोर्ट न्यायालय में अभियोजन साक्ष्य में साबित की गई थी। न्यायालय द्वारा पीडिता व उसके मॉ के पक्षद्रोही हो जाने के उपरांत अभियोजन द्वारा साक्ष्य में प्रस्तुत की गई परिस्थितीजन्य साक्ष्य के आधार पर अपराध को प्रमाणित माना है।
न्यायालय की टिप्पणी:- आरोपी द्वारा अपनी सौतेली पुत्री के साथ बलात्कार किया जाना प्रमाणित हुआ है। भारतीय न्याय व्यवस्था में जनसमूह की आस्था है। न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध व्यक्ति को दण्ड देने में नरमी बरते जाना जनसमूह की आस्था भंग किये जाने के समान है। अभियोजन द्वारा अपना प्रकरण अभियुक्त के विरूद्ध प्रमाणित कर दिये जाने के बाद न्यायालय का यह दायित्व है कि वह दोषसिद्ध व्यक्ति का उचित दण्ड से दण्डित करे। न्यायालय द्वारा यह लेख किया है कि आरोपी के प्रति उचित उदारता दर्शाई जाना न्याय की विफलता के समान है। शासन के ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री राजकुमार नेमा द्वारा की गई।