बारिश के मौसम में कांग्रेस अध्यक्षों की झड़ी.. सोशल मीडिया पर तानों की बाढ़..

उज्जैन। बारिश के मौसम में और विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्षों की जड़ी से लग गई है। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी सम्मेलनों के जरिए भाजपा की नैया चौथी बार पार लगाने की तैयारी कर रही है , वहीं कांग्रेस अध्यक्षों के बलबूते पर विधानसभा चुनाव जीतने की तैयारी में है ।

उज्जैन में आजादी के बाद से अभी तक जितने कार्यवाहक शहर और जिलाध्यक्ष नहीं हुए इतने कार्यवाहक शहर और जिलाध्यक्ष प्रदेश पिछले एक महीने में बना दिए गए हैं । लोग सोशल मीडिया पर यह पूछ रहे हैं कि कोई नेता बचा हो तो नाम बताएं अगली घोषणा जल्दी होने वाली है। उज्जैन में शहर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की घोषणा के बाद जो कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा होना शुरू हुई तो उसका दौर अभी तक नहीं थमा है । एक के बाद एक लगातार कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा हो रही है। हालांकि कांग्रेस में प्रतिभावान नेताओं की कमी नहीं है लेकिन अध्यक्ष बनाए जाने की भी एक सीमा तय की जाना चाहिए, तभी इस पद की डिग्निटी अर्थात प्रभाव बना रहेगा। सोशल मीडिया पर जिस तरीके से लोग खुलकर कांग्रेस को लेकर चुटकियां ले रहे हैं, यह पार्टी के लिए ठीक दिखाई नहीं दे रहा है।

कांग्रेस के एक नेता और उच्च शिक्षित इंजीनियर ने सोशल मीडिया पर यह तक लिख दिया कि 10 अध्यक्ष और सौ कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए जाना चाहिए और इसी के साथ नारा भी दे दिया गया कि “सबका साथ और सबका विकास”।

इसके अतिरिक्त अल्पसंख्यक वर्ग के एक कांग्रेस नेता ने तो सोशल मीडिया पर यह तक लिख दिया कि कोई बताएगा “उज्जैन में कितने कार्यवाहक अध्यक्ष कांग्रेस की ओर से बनाए जा चुके हैं”..। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अध्यक्षों की घोषणा को लेकर तानों की बाढ़ लगा दी है । सोशल मीडिया पर लगातार कार्यवाहक अध्यक्षों की घोषणा को लेकर टिप्पणियां की जा रही है ।कांग्रेस ने इस बार नया प्रयोग किया है लेकिन इस प्रयोग को लेकर भी गुटबाजी के स्वर उठ रहे हैं । जिस प्रकार कार्यवाहक अध्यक्षों की शहर और जिला स्तर पर घोषणा हो रही है। उससे कई और नेताओं ने अपने ख्वाब सजा लिए हैं । ऐसा माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले दो दर्जन और कार्यवाहक अध्यक्षों की घोषणा भी हो सकती है । इसके पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य पार्टी के वरिष्ठ नेता किसी भी कार्यकर्ता और नेता को नाराज नहीं कर रहे हैं । सभी गुटों के वरिष्ठ नेताओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए उनके समर्थकों को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जा रहा है। यह तो वक्त ही बताएगा कि कांग्रेस का नया प्रयोग कितना सफल साबित हुआ है? लेकिन फिलहाल कांग्रेस के कार्यक्रमों के दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष के लिए मंचों पर कुर्सी लगाना बड़ा बड़ी चिंता का विषय हो गया है। कांग्रेस के कार्यक्रमों में कई बार ऐसे नजारे भी देखने को मिल सकते हैं जिसमें कार्यकर्ताओं से ज्यादा कार्यवाहक अध्यक्षों की संख्या दिखाई दे।

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