उज्जैन। उज्जैन में प्रसिद्ध गया कोटा तीर्थ की तस्वीर भी बदलने वाली है। गया कोटा तीर्थ के विकास कार्यों को लेकर उज्जैन हाउसिंग बोर्ड द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं ।18 महीने में गया कोटा की तस्वीर बनेगी, उसकी कल्पना अभी से कर ली गई है।
उज्जैन में पर्यटन को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ी ताकत धार्मिक स्थान के रूप में आंकी जाती है ।भगवान महाकालेश्वर के मंदिर के अलावा अन्य धार्मिक स्थलों का भी अपना अलग अलग महत्व है ।इन धार्मिक स्थलों को लेकर भी विकास कार्य किया जा रहा है। गया कोटा तीर्थ के विकास की जिम्मेदारी उज्जैन हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से निर्वहन की जा रही है ।
शनिवार को उज्जैन हाउसिंग बोर्ड के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के एस पवार सहित अन्य अधिकारियों ने औपचारिक रूप से मंदिर के विकास कार्य का भूमि पूजन किया। मंदिर का जीर्णोद्धार और आसपास के विकास कार्यों की तीन चरणों में नींव रखी जाएगी। इसके लिए पहले चरण का काम शुरू हो गया है । यह चरण 18 महीनों में पूरा होगा। इसके बाद मंदिर के समीप कुंड का भी अलग नजारा देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि गया कोटा तीर्थ का स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में उल्लेख मिलता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु सांदीपनी के पुत्रों का यही पर मोक्ष तर्पण किया था । ऐसी मान्यता है कि गया कोटा तीर्थ तर्पण और पूजा अर्चना करने से पितरों की शांति मिलती है । उज्जैन के गया कोटा तीर्थ का उतना ही महत्व है , जितना के बिहार के गया जी का महत्व माना गया है । यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान गया कोटा मंदिर में दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं । धार्मिक स्थलों का विकास कार्य करने से उज्जैन का पर्यटन भी निश्चित रूप से बढ़ेगा। आमतौर पर यह देखने में आता है कि सावन और भादो मास में उज्जैन में काफी पर्यटक आते हैं । और धर्म लाभ कमाते हैं लेकिन अब कोटा और सिद्धवट जैसे स्थानों का विकास कार्य होने के बाद पक्ष में भी यहां श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा , जिसका असर व्यवसाय पर भी सीधे रुप से पड़ेगा।