रतलाम। देश में ऐसे चंद आईपीएस अफसर है जिनसे फिल्मी दुनिया भी प्रभावित है.. ऐसे ही अफसरों में शुमार है आईपीएस गौरव तिवारी । जो लोग जल्द न्याय की गुहार लगाकर आईपीएस अधिकारी गौरव तिवारी के पास पहुंचे हैं, उन्हें ताबड़तोड़ न्याय मिला है और ऐसा न्याय कि पुलिस कप्तान के दोनों हाथ तब तक नहीं रुकते हैं जब तक कि फरियादी संतुष्ट नहीं हो जाए ।
जी हाँ रतलाम एसपी गौरव तिवारी न्याय के मामले में देश के ऐसे आईपीएस अधिकारियों में शामिल है जो तत्काल न्याय और ताबड़तोड़ न्याय दिलाकर पीड़ित को तुरंत संतुष्ट करने का काम बखूबी करते हैं । आईपीएस अधिकारी गौरव तिवारी की इमानदारी की कसमें भी खाई जाती है । उज्जैन संभाग में लगातार अलग अलग पदों सेवाएं दे रहे श्री तिवारी वर्तमान में रतलाम एसपी के रूप में सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं ।
रतलाम पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी से फिल्मी दुनिया भी प्रभावित है । फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर उनकी कार्यशैली और जीवन शैली पर फिल्म तक का निर्माण कर रहे हैं ।
पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी के दफ्तर में जब भी कोई पीडित न्याय के लिए जाता है, तो तस्वीर कुछ इस प्रकार बनती है। पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी सबसे पहले पीड़ित पक्ष की बात सुनते हैं, इसके बाद दोनों हाथों से काम शुरू हो जाता है। एक हाथ से वायरलैस सेट पर संबंधित अधिकारी को निर्देश जारी कर दिए जाते हैं, दूसरे हाथ से लगातार आवेदन पर लिखित निर्देश जारी होते हैं । इसके बाद समय सीमा में जांच पूरी होने के बाद पीड़ित पक्ष को न्याय में मिल जाता है। इतना ही नहीं कोई व्यक्ति अगर पुलिस कप्तान के दफ्तर में दूसरी बार पहुंचता है, तो जांच अधिकारी को फटकार तक लगाई जाती है। यह भी कहा जाता है कि दूसरी बार कोई भी पीड़ित कार्यालय आने से पहले उसे न्याय मिल जाना चाहिए। पुलिस कप्तान की सभी मामलों पर निगाह रहती हैं।
पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी रतलाम में एडिशनल एसपी सहित अन्य पदों पर भी सेवाएं दे चुके हैं। पुलिस कप्तान इलाके के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है । उनकी पीड़ितों को न्याय दिलाने की कार्यशैली से हर कोई प्रभावित है। पुलिस कप्तान के दरबार में मंगलवार ही नहीं बल्कि सातों दिन लगातार जनसुनवाई चलती रहती है। आम और खास सभी एक कतार में पुलिस कप्तान के समक्ष पहुंचते हैं ।इसी वजह से पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी की छवि जनता के बीच में एक अलग ही पैठ रखती है।