परमार और गुर्जर के बाद मोरवाल भी मैदान में..

उज्जैन।  कांग्रेस के एक और विधायक बगावत पर उतर गए हैं .. उनका मानना है कि महाकाल मंदिर में गरीबों को पहले दर्शन की व्यवस्था की जाना चाहिए और वीआईपी और अमीरों के चक्कर में आम श्रद्धालुओं को दिक्कत नहीं होना चाहिए। बड़नगर के विधायक मुरली मोरवाल ने भी आज अधिकारियों से नई व्यवस्था को लेकर शिकायत करने के साथ-साथ मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की बात कही है।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आज से नई व्यवस्था लागू कर दी गई है इस व्यवस्था के तहत सुबह और दोपहर में दो-दो घंटे वीआईपी दर्शन हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में वीआईपी कल्चर को लेकर विधायकों ने खिलाफत शुरू कर दी है । जहां एक तरफ तराना के कांग्रेस विधायक महेश परमार ने आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कही है, वहीं दूसरी तरफ खाचरोद के विधायक दिलीप गुर्जर भी वीआईपी कल्चर की नई व्यवस्था से नाराज है। दोनों विधायकों के बाद आज कांग्रेस के बड़नगर के विधायक मुरली मोरवाल ने भी विरोध के स्वर मुखर कर दिए हैं। उनका कहना है कि आम श्रद्धालुओं को सुविधा होना चाहिए। जो लोग 1500 और ₹2000 खर्च कर रहे हैं, उन्हें गर्भ ग्रह में प्रवेश कराया जा रहा है और आम श्रद्धालु दूर से दर्शन कर रहे हैं , यह व्यवस्था ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को विश्वास में लिए बिना अधिकारियों ने जो निर्णय लिए हैं , वह गलत है । इस मामले में प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और मुख्यमंत्री कमलनाथ से शिकायत की जाएगी। विधायक मुरली मोरवाल ने यह भी कहा कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए भ्रामक जानकारी देकर नई व्यवस्था लागू की गई है, इस संबंध में अधिकारियों से बातचीत भी करेंगे ।गौरतलब है कि नई व्यवस्था लागू होने से पहले ही विवादों में घिर गई थी। पहले जिला प्रशासन और महाकाल मंदिर समिति ने 2 घंटे वीआईपी व्यवस्था की थी। बाद में इसे बढ़ाकर 4 घंटे कर दी गई है।

विधायकों का यह भी कहना है कि आने वाले समय में पूरा दिन ही वीआईपी कर दिया जाएगा। ऐसे में आम श्रद्धालु मंदिर में जाने पर पाबंदी उसे नाराज होंगे उज्जैन की अर्थव्यवस्था भी डगमगा जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु भी नई व्यवस्था को लेकर विरोध के स्वर मुखर कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ पंडे पुजारियों ने भी स्पष्ट रूप से विरोध किया है। उज्जैन चर्चा के पास पर्याप्त सबूत है।

कोई पुलिस से भी पूछ लो..

महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा मंदिर का संचालन किया जाता है लेकिन सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस के पास रहती है। पुलिस और प्रशासन एक गाड़ी के दोनों चक्के हैं जो एक दूसरे के बिना चल नहीं सकते हैं । ऐसी स्थिति में नई व्यवस्था को लेकर अनुभवी पुलिस अधिकारियों से भी चर्चा होना चाहिए थी। गौरतलब है कि उज्जैन में आईजी के रूप में पदस्थ श्री राकेश गुप्ता पूर्व में उज्जैन एसपी भी रह चुके हैं, उन्हें लंबा अनुभव है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक सचिन कुमार अतुलकर को महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था और सवारी को लेकर तगड़ा अनुभव है ऐसे में पुलिस अधिकारियों की रायशुमारी करना भी बेहद आवश्यक थी। पुलिस अधिकारियों को भी नई व्यवस्था को लेकर पूरी जानकारी सिलसिलेवार मिल रही है । ऐसी स्थिति में मंदिर में भीड़ प्रबंधन को लेकर उठाए जाने वाले कदमों की भी बेहद जरूरत है।

क्या माल वालों के “महाकाल”?

महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी को लेकर वहीं परिभाषा परिभाषित नहीं है महाकालेश्वर मंदिर में जो वीआईपी समय दिया गया है। उस वीआईपी समय में जो भी पंद्रह ₹100 की रसीद कटवा आएगा। वहां गर्भ ग्रह में प्रवेश कर दर्शन कर सकेगा। ऐसी स्थिति में गरीबों की पहुंच से महाकाल दूर होते जा रहे हैं। 4 घंटे तक 1500 की रसीद वाला सिस्टम लागू रहेगा। 12 ज्योतिर्लिंग में महाकालेश्वर मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है। जहां पर वीआईपी व्यवस्था के नाम पर 15 सो रुपए की रसीद काटी जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या भस्म रमैया केवल माल वालों के ही भगवान बनकर रह जाएंगे?

पंडित ने कहा- श्रद्धालुओं में आक्रोश

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एक पंडित ने स्पष्ट रूप से कहा कि श्रद्धालुओं में नई व्यवस्था को लेकर खासा आक्रोश है। आज सुबह कई श्रद्धालु आक्रोशित होकर गए हैं । भक्तों का कहना है कि पुरानी व्यवस्था भी लागू करना चाहिए और आम लोगों को दिनभर प्रवेश दिया जाना चाहिए। पंडित यह भी कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु उज्जैन से किनारा कर लेंगे। इस पूरे बयान का वीडियो भी उज्जैन चर्चा के पास है।

भाजपा के खास दे रहे हैं गलत जानकारी

भारतीय जनता पार्टी के खास रहे कुछ लोग गलत जानकारी देकर कांग्रेस सरकार की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं । वह कुछ हद तक गलत निर्णय करवाने में कामयाब भी हो गए हैं। हालांकि प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए। जब उनके सामने नई व्यवस्था को लेकर लोगों की शिकायतें जाएगी, तो संभव है कि व्यवस्था में परिवर्तन भी हो सकता है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में प्रभाव शील रहे कुछ लोगों से महाकालेश्वर मंदिर में होने वाले निर्णय को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए।

 

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