उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी व्यवस्था लागू होने के बाद अब 4 घंटे का समय निर्धारित किया गया है लेकिन प्रश्न अभी भी यही है कि वीआईपी कौन है? केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद अनिल फिरोजिया ने आम श्रद्धालुओं के साथ कतार में लगकर दर्शन किए। ऐसी स्थिति में जब वीआईपी आम श्रद्धालु बनने को तैयार है तो फिर वीआईपी व्यवस्था क्यों?
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में इतिहास में पहली बार कुछ दिनों से वीआईपी कल्चर शुरू हो गया है । पहले सुबह और शाम 2 घंटे वीआईपी दर्शन कराए जा रहे थे और अब यह समय बढ़ाकर 4 घंटे कर दिया गया है। महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं पर समय की पाबंदी निर्धारित हो गई है । ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि वेरी मोस्ट इंपोर्टेंट पर्सन कौन है? आज के समय में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीआईपी को आम बनाने के लिए लाल बत्ती का सिस्टम समाप्त कर दिया है इसके अलावा कई और ऐसे निर्णय लिए हैं जिससे वीआईपी और आम लोगों के बीच दूरियां समाप्त हो सके। ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर वीआईपी कल्चर को बढ़ा रहा है। इसका क्या मतलब निकाला जाए ? केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सांसद अनिल फिरोजिया के साथ भगवान महाकाल के दर्शन किए। जब उन्हें पता चला कि महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी कल्चर शुरू हो गया तो उन्होंने एक ही बात कही कि आम श्रद्धालुओं को पूरी सुविधा मिलना चाहिए , इस बात का ध्यान सभी को रखना चाहिए । उन्होंने आम श्रद्धालुओं की तरह दर्शन किए । जब वर्तमान समय में आम वीआईपी आम श्रद्धालुओं की तरह दर्शन करना चाहता है तो फिर वीआईपी कौन है ? यह प्रश्न वही का वही है.. वर्तमान समय में जो जनता के बीच रहता है वही वीआईपी होता है, इसलिए कोई भी जनप्रतिनिधि खुद को वीआईपी बताने को तैयार नहीं है, इसीलिए महाकालेश्वर मंदिर में 4 घंटे वीआईपी दर्शन को लेकर तेजी से विरोध हो रहा है । उज्जैन जिले के तीन कांग्रेस विधायकों ने खुले रूप से मोर्चा खोल दिया है। इसके अलावा कांग्रेस के कई नेता भी खुलकर विरोध कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने लाइन में लगकर एक अलग ही संदेश दे दियाहै। अब महाकालेश्वर मंदिर समिति को तय करना है। गौरतलब है कि महाकाल मंदिर में बनने वाले नियमों को लेकर केवल महाकाल मंदिर समिति आधिकारिक रूप से निर्णय कर सकती है।