उज्जैन। यह बात तो सभी लोग मानते हैं कि कोई भी सफलता के पीछे किसी टीम का हाथ होता है लेकिन महाकालेश्वर मंदिर को लगातार मिल रहे अवार्ड के पीछे टीम नहीं बल्कि तीन अफसरों का हाथ है । तीनों अफसरों ने किसी की परवाह नहीं की और महाकाल मंदिर को नंबर वन बनाने के लिए अपना पूरा योगदान दिया। देखिए पूरी रिपोर्ट इससे पहले दिल्ली में मिली सफलता की कहानी पढ़िए..
नईदिल्ली में कलेक्टर ने पुरस्कार ग्रहण किया-
स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत महाकालेश्वर मन्दिर उज्जैन को जल शक्ति मंत्रालय एवं पेयजल एवं स्वच्छता विभाग भारत सरकार द्वारा फेज-2 में फर्स्ट रनरअप ‘स्वच्छ आइकॉनिक स्थल’ घोषित किया गया है। इस हेतु आज नईदिल्ली के विज्ञान भवन में स्वच्छ महोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत कलेक्टर एवं अध्यक्ष श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति श्री शशांक मिश्र को केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत द्वारा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री सुजानसिंह रावत, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री नीलेश पारिख मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक भगवान श्री महाकालेश्वर मन्दिर देश का ऐसा मन्दिर है, जहां पर हर कोने में स्वच्छता एवं सुन्दरता दिखाई पडती है। विगत दो वर्षों से अधिक समय से श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा मंदिर की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए आधुनिक मशीनों से साफ-सफार्इ का कार्य करवाया जा रहा है। इसीलिये स्वच्छता के सभी मानकों में मन्दिर की व्यवस्थाएं खरी उतरी हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां की साफ-सफार्इ देखकर न केवल प्रसन्न होते हैं, बल्कि व्यवस्थाओं की सराहना भी करते हैं।
महाकाल मंदिर को लगातार मिल रहे अवार्ड के पीछे अफसरों की मेहनत हो इच्छा शक्ति से इंकार नहीं किया जा सकता है । इस अवार्ड में महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक रहे अधिकारियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है । लेकिन आईएएस अफसरों ने कई सवाल और जवाब के बावजूद महाकालेश्वर मंदिर की अच्छी व्यवस्थाओं से कोई समझौता नहीं किया । देखिए किसकी क्या रही भूमिका-
संकेत भौंडवे (पूर्व कलेक्टर)-
उज्जैन के पूर्व कलेक्टर संकेत भोंडवे ने सबसे पहले स्वच्छता अभियान को लेकर एक मिशन चलाया। इसके लिए एक निजी कंपनी को महाकालेश्वर मंदिर की स्वच्छता का ठेका दिया गया। इस पूरे मामले में कई बार सवाल जवाब भी हुए लेकिन पूर्व कलेक्टर ने किसी की परवाह नहीं की और नंबर वन का अवार्ड पाने के लिए पूरी तन्मयता के साथ स्वच्छता पर ध्यान दिया। श्री भोंडवे ने उज्जैन में भी स्वच्छता अभियान को लेकर महत्वपूर्ण कार्य किए अवार्ड मिलने की सफलता की कहानी यहीं से शुरू होती है। आज जब लगातार अवार्ड मिल रहे हैं तो श्री भौंडवे के योगदान को भी नहीं बुलाया जा सकता है।
मनीष सिंह (पूर्व कलेक्टर)-
जब आईएएस अफसर मनीष सिंह ने उज्जैन कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला तो स्वच्छता अभियान को दो कदम और आगे बढ़ाया। उनके कार्यकाल में महाकाल मंदिर समिति ने ऐसे निर्णय लिए जिससे श्रद्धालुओं को लगातार लाभ मिल रहा है । पिछले 50 साल में अगर महाकालेश्वर मंदिर परिसर और बाहर के अतिक्रमण हटाने की किसने हिम्मत दिखाइ है? तो उस आईएएस अफसर का नाम मनीष सिंह है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आईएएस अफसर मनीष सिंह पूरे मिशन को आगे नहीं बढ़ाते तो शायद यह अवार्ड उज्जैन को नहीं मिल पाता। जब आईएएस अफसर मनीष सिंह के कार्यकाल की सफलता लिखने की कोशिश की जाएगी तो निश्चित तौर पर शब्द सीमा कम पड़ जाएगी।
शशांक मिश्र (कलेक्टर)-
किसी भी योजना और व्यवस्था को चालू अथवा शुरू करना बेहद आसान होता है लेकिन इसे सफलतापूर्वक लंबे समय तक क्रियान्वित करना बेहद मुश्किल काम होता है । पूर्व कलेक्टर ने जिस प्रकार की स्वच्छता को लेकर मिशन आगे बढ़ाया था, उसी मिशन को वर्तमान कलेक्टर शशांक मिश्र लगातार आगे बढ़ा रहे हैं । यही वजह है कि महाकालेश्वर मंदिर को लगातार दूसरी बार अवार्ड मिला है। गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार महाकाल मंदिर को लेकर बेहद संवेदनशील है । आने वाले समय में महाकाल मंदिर विस्तारीकरण पर 300 करोड़ रुपए खर्च होना है। इन सब कार्यों की जिम्मेदारी और जवाबदारी वर्तमान कलेक्टर शशांक मिश्र सफलतापूर्वक उठा रहे हैं , इसलिए वर्तमान कलेक्टर के बिना यह अवार्ड इस वर्ष मिल पाना मुमकिन नहीं था।
जय श्री महाकाल
विक्रमसिंह जाट
9827093651