सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ने कहा – गलतफहमी में गलत कार्रवाई कर दी उज्जैन पुलिस ने

उज्जैन। नेपाल के उप राष्ट्रपति के सलाहकार के मामले में उज्जैन पुलिस ने पिछले दिनों फर्जीवाड़े के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था । तीनों आपस में रिश्तेदार होने के बावजूद एक दूसरे को सचिव और जिम्मेदार अधिकारी बता रहे थे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील ने आरोपियों का पक्ष लेते हुए कहा कि उज्जैन पुलिस ने गलतफहमी के चलते गलत कार्रवाई कर दी है। तीनों फर्जी नहीं बल्कि असली है।

दिल्ली में निर्भया केस के आरोपियों के वकील ए पी सिंह रविवार को जन पहुंचे, उन्होंने कुछ दिनों पहले पकड़ाए महावीर प्रसाद तोरडी का पक्ष लेते हुए कहा कि उज्जैन पुलिस ने गलत कार्रवाई कर दी है। महावीर प्रसाद नेपाल  के उप राष्ट्रपति के सलाहकार है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की जानकारी उच्च लेवल पर पहुंच चुकी है। हालांकि महावीर प्रसाद के खिलाफ साल 1984 से अभी तक दर्जनों मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें अधिकांश प्रकरण धोखाधड़ी और जालसाजी के हैं।  एडवोकेट एपी सिंह ने अभी बताया कि। इस पूरे मामले को अदालत में ले जाएंगे और पुलिस कि एफआईआर को क्वेश कराने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश के कई जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अलग-अलग मामले लंबित और पंजीबद्ध है  ऐसी स्थिति में सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के खिलाफ शिकायतें होना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि महावीर प्रसाद और उनके परिवार के सदस्य के पास पर्याप्त सबूत हैं जिसके जरिए वे खुद को उपराष्ट्रपति का सलाहकार सभी फोरम पर साबित कर सकते हैं।

एडवोकेट श्री सिंह ने निर्भया केस के मामले में भी कहा कि दिल्ली चुनाव के चलते निर्भया केस के मामले में रोज नए-नए बयान आ रहे थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने भी फांसी जैसी सजा पर रोक लगाने की वकालत की थी। पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ पत्रकार श्री अनिल सिंह चंदेल और एडवोकेट श्री हरदयाल सिंह ठाकुर भी मौजूद थे।

दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी अभी भी अपनी बात पर अडिग है। पुलिस का कहना है कि महावीर प्रसाद और उसके भाई तथा पुत्र फर्जीवाड़ा करते थे। फर्जीवाड़े के मामले में वे कई बार पकड़े जा चुके हैं और नेपाल सरकार से भी फर्जीवाडे की पुष्टि की जा चुकी है। हालांकि यह दस्तावेज कॉन्फिडेंसअल है, इसलिए इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। माधवनगर पुलिस का यह भी कहना है कि जिन दस्तावेजों को असली बताया जा रहा है। उन दस्तावेजों को फर्जी मानते हुए राजस्थान पुलिस ने इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर गंभीर अपराध दर्ज किया था।

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