सरकार गिरी तो सिंधिया की ताजपोशी..!

भोपाल। राजनीति में वादा निभाना और वादाखिलाफी करना दोनों ही बहुत महत्व रखते हैं.. फिलहाल मध्य प्रदेश की सियासत में वादा निभाना और वादाखिलाफी करना.. दोनों ही उदाहरण के रूप में देखे जा रहे हैं । चर्चा यह है कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिरती है तब ही ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय मंत्री बन पाएंगे.. इसे राजनीतिक वादा कहे या फिर कुर्सी की लड़ाई या फिर सियासत कुछ भी गलत नहीं होगा।

राजनीति में जब दलबदल की बात होती है, तो दल बदलने वाला नेता ही नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियां भी अपना फायदा सोचती है। इसके आधार पर ही वादे किए जाते हैं। वर्तमान में मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। एक तरफ जहां उनके समर्थक बागी विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्हें राज्यसभा का दावेदार बनवा दिया है, वहीं दूसरी तरफ दूसरे वादे पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। यह कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया का आना केवल राज्यसभा तक की लड़ाई नहीं है , बल्कि मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार को गिराने का भी एक वादा है। इस वादे को अगर पूरा किया जाता है तो केंद्रीय मंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताजपोशी हो जाएगी। इस प्रकार ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश के चौथे मंत्री मोदी सरकार में बन जाएंगे । वर्तमान में थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन मंत्री मोदी सरकार में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । अगर मध्य प्रदेश की सरकार किसी भी हालत में बच जाती है तो ऐसी स्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का केंद्रीय मंत्री बन पाना मुश्किल हो जाएगा । सभी चर्चाएं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच चल रही है लेकिन इन चर्चाओं के दौरान यह भी सत्य है कि कमलनाथ सरकार का संकट लगातार बढ़ते जा रहा है। कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए सिंधिया समर्थक विधायक एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। यह बात अलग है कि विधायकों का राजनीतिक भविष्य भी भविष्य में छिपा हुआ है । इन सबके बावजूद मध्य प्रदेश की सियासत में आने वाले कुछ दिन बेहद रोचक और महत्वपूर्ण रहेंगे।

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