उज्जैन/इंदौर/नीमच/भोपाल। कोरोना को लेकर रेड जोन माने जाने वाले उज्जैन में जांच का औसत प्रतिशत देखकर आप दंग रह जाएंगे। मध्य प्रदेश के नक्शे पर उज्जैन जांच के मामले में सबसे फिसड्डी है जबकि मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर और राजनीतिक राजधानी भोपाल अव्वल है।
मध्यप्रदेश में प्रतिदिन कोरोना को लेकर 6000 जांच हो रही है । इसमें उज्जैन में लगभग 200 जांच का आंकड़ा सामने आ रहा है । सबसे बड़ी बात यह है कि अगर 10 लाख की आबादी के औसत से आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो उज्जैन दूसरे रेड जोन की तुलना में जांच के मामले में फिसड्डी है। मतलब साफ है कि अगर 10 लाख की आबादी के मान से जांच के लिए भेजे गए सैंपल की संख्या उज्जैन में सबसे कम है। कोरोना की जांच का प्रतिशत कम होने की वजह से अभी कई सवालों के जवाब आना बाकी है। प्रदेश सरकार द्वारा औपचारिक रूप से जानकारी देकर यह बताया गया कि 6 अप्रैल को मध्यप्रदेश में टेस्टिंग की क्षमता 600 थी जो 16 जून को बढ़कर 6000 हो गई है। ऐसी स्थिति में अधिक संक्रमण वाले शहर इंदौर में 16712 टेस्ट प्रति 10 लाख, भोपाल में 28586 टेस्ट प्रति 1000000 किए गए । इसी तरह बुरहानपुर में 5040 प्रति दस लाख, नीमच में 4562 टेस्ट प्रति 1000000 और उज्जैन में 4373 टेस्ट 1000000 किए गए हैं।
इस प्रकार उज्जैन की तस्वीर साफ होने के लिए और अधिक टेस्टिंग की आवश्यकता है। लोगों को बिल्कुल भी मुगालता नहीं पालना चाहिए कि उज्जैन पूरी तरह कोरोना मुक्त हो गया है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए सावधानी बरतने की बेहद जरूरत है। उज्जैन में 3 दिनों में ₹165000 से ज्यादा के जुर्माने इस बात का प्रमाण है कि उज्जैन में पूरी तरह सरकारी गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है।
मृत्यु दर का औसत प्रतिशत जरूर घटा
धार्मिक नगरी उज्जैन में मृत्यु दर का औसत प्रतिशत जरूर घट गया है । फिलहाल मृत्यु दर का आंकड़ा थमा हुआ है लेकिन जिस तरीके से लगातार वृद्ध पॉजिटिव के रूप में सामने आ रहे हैं उससे चिंता और बढ़ गई है । उज्जैन की मृत्यु दर कम करने के लिए सरकार ने शहर के मेडिकल कॉलेज के अलावा अमलतास अस्पताल और इंदौर के अरविंदो अस्पताल को भी अधिकृत किया है। इंदौर में मौत का आंकड़ा 185 के आसपास पहुंच गया है जबकि भोपाल में 75 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद मध्यप्रदेश में मौत के मामले में तीसरे नंबर पर उज्जैन है। यहां पर 67 लोगों की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही भी पड़ रही है महंगी
उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर दो ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो गए हैं जो सरकारी गाइडलाइन का पालन किए बिना ही लोगों का इलाज कर रहे थे । इसमें डॉ सुशील खंडेलवाल के अलावा डॉ चुन्नीलाल भी शामिल है। इन सबके बीच तेजनकर अस्पताल को कारण बताओ नोटिस भी जारी हो गया है । सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को काफी बेहतर बनाने की कोशिश जारी है लेकिन निजी स्तर पर भी लापरवाही के कारण कोरोना फल-फूल रहा है।