कौन पूछता है रेंग रेंग कर चलने वालों को..
आज तो उन्हीं के चर्चे हैं जिनकी चाल तूफानी है..
इंदौर/उज्जैन/भोपाल। आज भी देश में कुछ ऐसे आईएएस और आईपीएस अधिकारी है जिन पर जनता का अटूट विश्वास है, ऐसे ही आईएएस अधिकारी है इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह । हालांकि वे अपनी दबंग और निष्पक्ष कार्यशैली के कारण सियासतदारों के निशाने पर भी रहते हैं। फिलहाल पिछले काफी समय से वे कांग्रेस के निशाने पर है।
इंदौर में पूर्व में नगर निगम आयुक्त के रूप में सेवाएं दे चुके आईएएस अधिकारी मनीष सिंह के कार्यकाल में ही इंदौर को स्वच्छता के मामले में पूरे देश में अव्वल स्थान मिला था। रिजल्ट ओरिएंटेड ऑफिसर मनीष सिंह हमेशा फील्ड में रहकर काम किया है। वे कभी भी ऑफिस से फरमान जारी कर आराम से बैठने वाले अधिकारियों में नहीं है। आदेश का किस प्रकार से इंप्लीमेंट होता है और उसके क्या परिणाम सामने आते हैं ? इस पर पूरी निगाह रखने वाले अफसर मनीष सिंह हमेशा से कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं ।
इंदौर निगम निगम आयुक्त के बाद उन्हें उज्जैन कलेक्टर की जिम्मेदारी मिली थी। जैसे ही चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बदली वैसे ही कांग्रेस नेताओं के इशारे पर उज्जैन कलेक्टर मनीष सिंह को हटा दिया गया, जबकि उज्जैन में उनके द्वारा छह माह के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए। उनके कार्यकाल में उज्जैन में रासुका और जिला बदर की कार्रवाई की झड़ी लग गई । इसके अलावा अवैध निर्माण तोड़ने में भी उन्होंने काफी ऐतिहासिक कार्य करवाएं। इसके अतिरिक्त महाकालेश्वर मंदिर के भीतर और बाहर के इलाकों में अतिक्रमण भी उनके कार्यकाल में ही हटाया गया।
इतनी उपलब्धियों के बावजूद इसलिए आईएएस अधिकारी मनीष सिंह को उज्जैन से हटा दिया गया क्योंकि उनकी नियुक्ति बीजेपी की सरकार में हुई थी। इसके बाद उन्हें विपरीत परिस्थितियों में इंदौर में कलेक्टर के रूप में पदभार सौंपा गया। उस समय आईएएस अधिकारी मनीष सिंह ने इंदौर में कलेक्टर की कुर्सी संभाली, जब मध्य प्रदेश के कई अधिकारी कोरोना की वजह से इंदौर में आना नहीं चाहते थे। इसके अलावा महामारी कोरोना से निपटने के लिए इंदौर में व्यापक इंतजाम किए जाना भी काफी कठिन थे ।
कलेक्टर मनीष सिंह ने कुर्सी संभालने के बाद तुरंत अपनी कार्यशैली के अनुरूप पूरे इंदौर में सख्ती दिखाई जिसके बाद आज इंदौर कोरोना के संकट से धीरे-धीरे उभर रहा है। इंदौर कलेक्टर मनीषसिंह की मुस्तैदी के कारण सरकार की भी जमकर पीठ थपथपाई जा रही है। हालांकि एक बार फिर इंदौर कलेक्टर कांग्रेस के निशाने पर हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों इंदौर के तीन विधायकों ने राजवाड़े पर धरना दिया था। इस दौरान एसडीएम बिना जानकारी दिए ही मौके पर चले गए थे जिसके बाद एसडीएम का तबादला हो गया। यह भी एक वजह है जिसके कारण इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह कांग्रेस के निशाने पर हैं ।
वर्तमान समय में कोरोना से निपटने के लिए इंदौर जैसे बड़े शहर में व्यापक इंतजाम करने वाले आईएएस अधिकारी मनीष सिंह को लेकर कई मनगढंत चर्चाएं चल रही है, जिसे लेकर इंदौर के लोगों में भी आक्रोश है । इंदौर के लोगों का कहना है कि ऐसे अफसर को लेकर फिलहाल कुछ भी चर्चा नहीं की जाना चाहिए । वर्तमान समय कोरोना के खिलाफ जंग का समय है।