अकाल मौत टालने महाकाल पहुँचा था विकास …
( ग्राउंड रिपोर्ट )
टीवी न्यूज में काम करने का मजा और सजा यही है कि आपको पता ही नहीं लगता कि अगले क्षण आप क्या कर रहे होंगे। बढिया गुरूवार की सुबह अखबार फांकने के बाद फोन पर दोस्तों से लंबी बात शुरू की ही थी कि एक पुलिस अधिकारी मित्र का फोन आया। आपको वाटस अप पर फोटो भेजे हैं देखे उज्जैन में कुछ बडा हो गया है। फोटो देखते ही होश फाख्ता हो गये। ये फोटो उस विकास दुबे के थे जिसकी तलाश में यूपी पुलिस देश भर में छापे मार रही है। फोटो में विकास महाकाल मंदिर प्रांगण में टहल रहा था। तुरंत अपने उज्जैन के साथी विक्रम को फोन लगाया और विक्रम धाराप्रवाह शुरू हो गया। सर विकास दुबे को पकडने की खबर है वो ढाई सौ रूप्ये की पर्ची कटाकर वीआईपी दर्शन को गया था तो उसे निकलते में पकड लिया है। फिलहाल पुलिस अधिकारी कुछ बोल नहीं रहे बडी खबर है आपको इसलिये कन्फर्म करने के बाद ही बताता। बस फिर क्या था। अगला फोन एसपी उज्जैन… मगर बिजी आया तो फिर कलेक्टर उज्जैन और यहां संबंध फिर काम आये। फोन की घंटी बजते ही कलेक्टर आशीष सिंह ने फोन उठाया गया और कहा हां भाई खबर तो है। जो सारी चीजें उससे मिल रहीं है उससे तो लग रहा है कि वो वही विकास दुबे हैं मगर फिर भी पुलिस अभी वेरिफाई कर रही है। थोडा वक्त और लगेगा मगर नब्बे फीसदी तो वही लग रहा है।
किसी बडे अधिकारी के नब्बे प्रतिशत पर तो खबर ब्रेक की जा सकती है। ये समझते ही अगला फोन आफिस को लगाया और साथ में फोटो भेजा बस फिर क्या था अगले ही क्षण हम आन एयर थे, ब्रेकिंग न्यूज की फोटो के साथ। लंबे लंबे फोनो शुरू हो गये थे। जिसमें विक्रम और अधिकारियों से मिली जानकारी दर्शकों को बतायी जा रही थी। यूपी से भी हमारे साथियों के फोनो चलने लगे थे। थोडी देर बाद ही नये नये वीडियो और सीसीटीवी फुटेज भी फोन पर लगातार आने लगे थे। चूंकि विकास को मंदिर परिसर से निकलते ही गिरफतार किया था मंदिर के अंदर के कैमरों और मंदिर परिसर के बाहर लगे वीडियो में उसकी गिरफतारी रिकार्ड हो गयी थी। पुलिस की गाडी में बिठाते वक्त वो चिल्लाया भी मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। मोस्ट वांटेड क्रिमिनल जिस पर पाँच लाख रुपये का इनाम हो उसकी गिरफतारी इतनी नाटकीयता से होगी किसी को उम्मीद नहीं थी मगर ये उस वक्त की देश की सबसे बडी खबर थी। क्योंकि छह दिन पहले ही ये खूंखार अपराधी आठ पुलिस जवानों की हत्याकर फरार हुआ था और उसकी तलाश में यूपी एसटीएफ देश दुनिया खंगालने पर उतारू थी।
इधर फोनो चल रहे थे उधर उज्जैन भागने की तैयारी भी साथ साथ होने लगी थी। उज्जैन के विक्रम तब तक मंदिर पहुंच कर अपने वाकथ्रू भेजने लगे थे जिससे मुझ पर खबर की निर्भरता कुछ कम हुयी मगर थोडी थोडी देर में ही आफिस के छोेटे बडे सभी का फोन आ रहा था कि निकल गये ना। मगर कौन समझाये कि अकेले नहीं गाडी डाईवर और कैमरामेन सबको लेकर निकलना होता है। सबका काल टाइम होता है। आफिस से बज रहे तमाम काल के बीच नहाना, धोना, बैग में कपडे जमाना और सुबह का नाश्ता भी चलता जा रहा था। घर में अब सुकून के माहौल में तनाव घुल गया था। सारे काम इमरजेंसी सरीखे किये जा रहे थे। साढे दस बजे निकले तो बिना रूके तीन घंटे में करीब डेढ बजे सीधे महाकाल मंदिर में जाकर हम ये समझने की कोशिश कर रहे थे कि अब काम कहां से शुरू करें। विकास को पकड कर अज्ञात जगह पर ले जाया गया था। उज्जैन के पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों के फोन उठाने तकरीबन बंद ही कर दिये थे। टीवी पत्रकार दल हर संभावित जगहों पर टहल कर आ चुके थे। भोपाल से भी तकरीबन सारे राप्टीय चैनलों के संवाददाता उज्जैन आ गये थेे। सबका सवाल यहीं था कि पूछताछ चल कहां रही है। हांलाकि इस बीच में मंदिर के पास महाकाल थाने में इस घटना से जुडे लोग जो उस वक्त मौके पर मौजूद थे वो पहुंचे हुये थे तो उनके ही इंटरव्यू कर काम चलाया जा रहा था।
यदि पुलिस खबर ना बताये तो प्रशासनिक अधिकारियों को खंगाला जाये इसी क्रम में हम अपने संपर्कों से लगातार बात कर रहे थे इसी में क्लू मिला कि भैरूगढ जेल या भैरवगढ थाने में कुछ हो रहा है। बस फिर क्या था कोर्ट के बाहर फील्डिंग कर रहीं टीमों को हमने भैरूगढ जेल चलने को कहा और जब वहाँ पहुंचे तो पता चला कुछ नहीं हो रहा। इतने में ये खबर आ गयी थी कि विकास को यूपी एसटीएफ के हवाले कर दिया गया है ओर वो किसी भी क्षण रवाना हो रहा हैं। उसके बाद उज्जैन पुलिस कंटोल रूम में प्रेस वार्ता कर जानकारी देगी। हम फिर जेल से शहर की ओर चल दिये। मगर यहाँ हमारे विक्रम भेरू जेल से भैरवगढ थाने जा पहुंचे थे और फोन कर रहे थे कि सर यहां आ जाइये एसपी सहित सारे बडे अफसर यहीं हैं और लोग बता रहे हैं कि यहीं पर दिन भर विकास को रखा गया था। फिर हम शहर से भैरवगढ थाने की ओर पलटे और थाने जाकर खडे हुये ही थे कि एसपी मनोेज कुमार सिंह निकले और फोन नहीं उठाने पर अफसोस जताने लगे। हमने हमारे कैमरामेन साथी होमेंद्र को इशारा किया और अब सारी बातें कैमरे पर की जाने लगीं यानिकी एक अच्छा सा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू एसपी का हो गया। उन्होने बता दिया कि आधे घंटे पहले विकास को रवाना किया जा चुका है और सुबह वो आठ बजे तक कानपुर पहुंच जायेगा।
दिन अच्छा गुजरा था आफिस ने रात रूकने को कहा था इसलिये होटल जाकर नहाया अफसोस यही था कि उज्जैन में इतने संपर्कों के बाद भी एक बार भी विकास का फुटेज मिल नहीं पाया। मगर ये क्या थोडी देर बाद ही किसी चैनल पर विकास के काफिले के लाइव फुटेज चल रहे थे और आफिस से फोन आने लगे। दिन भर का किया धरा चौपट हो गया था। तात्कालिक व्यवस्था यहीं की गयी कि रास्ते भर अपने जिलों को संवाददाताओं से टोल नाकों पर खडा कर काफिले के फुटेज इकटठे करवा कर रात डेढ बजे सोये मगर सुबह एक बडी सरप्राइज इंतजार कर रही थी, सुबह उठकर टीवी खोला तो विकास के एनकाउंटर की खबर थी। उफ,,, रात शिवपुरी के साथी केके दुबे ने जो फुटेज भेजा था उसमें एक फोटो में विकास कैमरों की लाइट की तरफ देख हंस रहा था मगर ये उसकी आखिरी हंसी थी। यहंा टीवी स्क्रीन पर विकास की काले पाली बैग में लिपटी लाश थी। मन में यही विचार आया कि अकाल मौत को हरने वाले महाकाल के दर्शन भी दुर्दांत अपराधी को अकाल मौत से बचा ना सके।
ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़, भोपाल
अकाल मौत टालने महाकाल पहुँचा था विकास …
