उज्जैन । उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश विकास के विनाश की कहानी उज्जैन आकर शुरू हुई.. यहां पर उसने जैसे ही कदम रखे, सबसे पहली मुलाकात उसकी जिस शख्स से हुई उसी के साथ उसने सबसे ज्यादा वक्त भी बिताया.. इसी शख्स ने उसे निजी वाहन से अंतिम सफर भी कराया। उज्जैन के निकास चौराहे के समीप रहने वाले आटो चालक बंटी चौहान की जुबानी पूरी कहानी सुनिए।
उज्जैन के निकास चौराहे क्षेत्र में रहने वाले बंटी चौहान ने 7 तारीख से कमल कॉलोनी में रहने वाले यशपाल सिंह ठाकुर का ऑटो किराए पर चला रहा था। बंटी देवास गेट क्षेत्र से देर रात से अलसुबह तक ऑटो चलाता था। 9 जुलाई की सुबह 3:55 पर राजस्थान की बस से मोबाइल पर फोन से बात करते हुए विकास दुबे उज्जैन की धरती पर उतरा। इसके बाद उसने बंटी चौहान से विकास दुबे की मुलाकात हुई। बंटी चौहान के मुताबिक 9 जुलाई की सुबह राजस्थान साइबर से 4 यात्री उतरे थे। इनमें से एक मात्र विकास दुबे ही उसके ऑटो के करीब आया, बाकी दूसरे लोग अपने अपने हिसाब से वहां से रवाना हो गए । विकास दुबे ने बंटी से कहा कि उसे महाकालेश्वर मंदिर जाना है। बंटी ने ₹50 किराया बताया । इसके बाद विकास दुबे ने कहा कि किराया ज्यादा है, बंटी ने अपने जवाब में कहा कि रात्रि के समय इतना ही किराया लगता है । इसके बाद वह आटो में बैठ गया।
जब विकास ऑटो में बैठा तो उसने बंटी से बातचीत शुरू कर दी। उसने यह भी कहा कि उसे 3 दिनों तक उज्जैन में रहना है। इसके लिए उसे होटल भी देखना है। इसके बाद बंटी महाकाल मंदिर के समीप अमन होटल में लेकर विकास को पहुंचा लेकिन वहां उसे कमरा नहीं जचा। इसके बाद यादव धर्मशाला की ओर भी विकास ले गया मगर वहां भी विकास को कमरा पसंद नहीं आया। इसके बाद उसने रामघाट पर छोड़ने की इच्छा जाहिर की। दरअसल विकास दुबे के पास कोई परिचय पत्र नहीं था। इस बात का जिक्र उसमें बंटी चौहान ने भी किया था । उसने बंटी को यह भी बताया कि उसके पास परिचय पत्र की फोटो कॉपी है। बंटी ने कहा कि फोटोकॉपी से भी उसका काम हो जाएगा। हालांकि उसने कमरा किराए पर नहीं लिया और मुंबई वालों की धर्मशाला के समीप विकास दुबे ₹50 देकर ऑटो से उतर गया।
इसके बाद वह राम घाट पर स्नान करने के बाद महाकाल मंदिर पहुंचा और उसने सुरेश कहार से पूरी जानकारी ली। विकास दुबे ने मंदिर में जाने का समय आदि जानकारी लेकर ही वह मंदिर में घुसा जिसके बाद बाहर निकलते समय पकड़ा गया। इस पूरे घटनाक्रम में बंटी चौहान एकमात्र ऐसा व्यक्ति है जो उज्जैन पहुंचने के बाद विकास दुबे के सीधे संपर्क में रहा। बंटी चौहान ने उसे निजी वाहन में अंतिम सफर कराया। इसके बाद विकास दुबे का हर सफर सरकारी गाड़ी में तय हुआ और उसका यही सफर उसका अंतिम सफर बन कर रह गया।
विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद बंटी चौहान को उज्जैन पुलिस ने 36 घंटे तक अपनी हिरासत में ले रहा था। उससे काफी पूछताछ की गई जिसके बाद उसके बयानों की तस्दीक के लिए सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले गए। ऑटो चालक बंटी चौहान की एक-एक बात सत्य निकली। जिसके बाद पुलिस ने बंटी को छोड़ दिया।