तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर…

भोपाल ।  एमपी विधानसभा में अध्यक्ष के कमरे से लगे सभा कक्ष में बहुत दिनों के बाद गणमान्य लोग जुटे हुए थे. प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे तो उनकी एक तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठे हुये थे तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विराजे थे. इस बैठक का मकसद था कि आने वाले दिनों में कैसे विधानसभा का बजट सत्र बुलाया जाए, क्योंकि कोरोना की प्रचंडता बढ़ती जा रही है.

थोड़ी देर की चर्चा के बाद ही तय हो गया कि इन हालत में विधानसभा का सत्र संभव नहीं है. दो सौ तीस विधायक फिर उनके सहायक, विभागों के अफसर, विधानसभा के कर्मचारी और फिर मीडिया के सैंकड़ों लोग जब इकट्ठा होंगे तो सोशल डिस्टेंसिग की धज्जियां उड़ जाएंगी. ऐसे में सत्र बुलाना संभव नहीं लगा और सर्वसम्मति से सत्र आगे बढ़ाने का फैसला हो गया.

थोड़ी देर बाद ही ये खबर चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज के नाम पर चलने लगी कि नहीं होगा मध्यप्रदेश का विधानसभा सत्र, कोरोना संकट के चलते आगे बढ़ाया गया. बैठक खत्म हुई और जैसा कि होता है मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में संसदीय कार्यमंत्री आपस में हंसी ठहाके करते हुए बाहर निकले. सबसे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने काफिले के साथ स्टेट हैंगर रवाना हो गये. उनको उज्जैन रवाना होना था. इस बीच में मीडिया को बाइट दी और वो सारे साथी राजनेताओं को प्रणाम कर चल पड़े.

इसके बाद मीडिया के कैमरों पर एंट्री होती है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा की. दोनों किसी बात पर चर्चा करते हुए हंसते हुए बेहद करीबी दोस्तों की तरह आपस में बात करते हुए बाहर आए और कैमरे चमकने लगे. हम ये देख कर हैरान थे कि यदि पुरानी दोस्ती ऐसी होती तो शायद कांग्रेस सरकार नहीं गिरती.

कहने वाले कहते हैं कि जब कांग्रेस सरकार ने नरोत्तम मिश्रा को घेरने की कोशिश की थी तभी से कांग्रेस सरकार को अपदस्थ करने की कोशिशें परवान चढ़ने लगी थीं. और अब सरकार से हटने के बाद दोनों नेताओं की ये मुस्कुराहट बहुत कुछ नए समीकरण बनने का संकेत दे रही थीं.

इधर विधानसभा से सर्वदलीय बैठक में आये सारे बड़े नेताओं के परिसर से बाहर होते ही थोड़ी देर बाद अध्यक्ष के पोच के बाहर एक गाडी रूकती है. जिसमें से उतरते हैं नव नियुक्त मंत्री अरविंद भदौरिया और उनके साथ होती हैं कांग्रेस की नेपानगर से विधायक सुमित्रा कासडेकर. सुमित्रा अरविंद भदौरिया के साथ अध्यक्ष का पदभार संभाले प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा के चेंबर में जाती हैं और उनको अपनी विधानसभा की सदस्यता से दो लाइन का इस्तीफे का पत्र देती हैं. अध्यक्ष उनसे कुछ बातचीत करते हैं और उसे स्वीकार कर विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों को निर्देशित करते हैं. अध्यक्ष और अब पूर्व विधायक सुमित्रा की तस्वीरें होती हैं और करीब एक घंटे के बाद ये तस्वीर वाइरल होती हैं. टीवी चैनलों पर एक और ब्रेकिंग न्यूज चलने लगती है.

उसी जाने पहचाने अंदाज में कांग्रेस को एक और झटका नेपानगर की विधायक ने भी सदस्यता से इस्तीफा दिया. ये इस्तीफा क्यों हुआ इसका खुलासा तब होता है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उज्जैन से लौटते हैं और पार्टी आफिस पहुंचकर कांग्रेस की पूर्व विधायक को बीजेपी की सदस्यता दिलवाते हैं. विधायक का वही जबाव होता है कि कांग्रेस को विकास में रूचि नहीं रह गयी इसलिए इस्तीफा दिया.

उधर बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री इस अचानक दिए इस्तीफे का महिमा मंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. वे कहते हैं कि विधानसभा से इस्तीफा देना आसान काम नहीं है. तपस्या करनी पड़ती है. अब सामने बैठे पत्रकार और राजनीतिक घटनाओं को परखने वाले समझ रहे थे कि सुमित्रा ने कौन सी अचानक तपस्या कर किस देवता को प्रसन्न कर लिया. मगर जिस तेजी से कांग्रेस के विधायक एक जैसे आरोप लगाकर कांग्रेस से किनारा कर रहे हैं वो कांग्रेस के लिए निश्चित ही हैरान करने वाला है.

पहले मार्च में बाइस विधायक फिर प्रदयुम्न सिंह और अब सुमित्रा कासडेकर यानि कि चार महीने में ही चौबीस विधायकों को कांग्रेस खो चुकी है. 2018 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 114 विधायकों को जिताकर और चार निर्दलीय और सपा के एक बसपा के दो पार्टी ने सरकार बनायी थी मगर सपा और बसपा निर्दलीय का समर्थन खोकर चौबीस विधायकों को गंवाकर अब नब्बे विधायकों के साथ कांग्रेस खड़ी है और आने वाले दिनों में छब्बीस सीटों पर पार्टी को चुनाव लड़ना भी है.

ऐसे में कांग्रेस की ये बेफ्रिकी कई सवाल खडी करती है. कमलनाथ के नेतृत्व और दिग्विजय सिंह के संरक्षण में मजबूत दिख रही मध्यप्रदेश कांग्रेस अचानक बेचारी और निरीह सी दिखने लगी है. क्यों कांग्रेस संघर्ष करती नहीं दिख रही? क्यों कांग्रेस अपने जहाज में हो रही भगदड़ को रोकने में नाकाम हो रही है? इसका जबाव कोई नहीं दे पा रहा है उधर कांग्रेस से ही बीजेपी में गए मंत्री गरजते हैं कि अब कांग्रेस का अंत है आने वाले दिनों मं चार पांच विधायक और पार्टी छोड़कर आएंगे.

उधर बीजेपी कांग्रेस के विधायकों की संख्या कम कर अपनी संख्या बढ़ाने का खेल खेल रही है. बीजेपी 107 विधायकों की संख्या पर खड़ी है उसे सरकार बनाने यानि कि 116 का आंकडा छूने में सिर्फ नौ विधायक ही उपचुनाव में जिताकर लाना है जो उसकी चुनावी मशीनरी और शिवराज सिहं चौहान के अथक चुनावी प्रचार के दम पर बड़ी संख्या नहीं है.

शिवराज और महाराज भी अब साथ हो गये हैं इसलिये वो नौ नहीं उन्नीस सीट जीतने का अनुमान लगा रहे हैं. मगर कांग्रेस को सिर्फ जनता पर ही भरोसा है जो बीजेपी के खेल को समझेगी और कांग्रेस को जिताकर लोकतंत्र को मजबूत करेगी. मगर फिलहाल तो कांग्रेस मुगालते में ही लग रही है. पहले वो अपना दरकता घर संभाले फिर चुनाव में जनता से वोट मांगे यही ठीक रहेगा. वरना कई फिल्मों में बजा वो गाना तो लोग गा ही रहे हैं ‘तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा.’

ब्रजेश राजपूत 

ABP NEWS 

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