इंदौर/भोपाल। देश के मानचित्र पर बड़े महानगरों से इंदौर को आगे ले जाना कोई आसान काम नहीं था लेकिन आईएएस अफसर मनीष सिंह और आशीष सिंह पूरे मध्यप्रदेश का गौरव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी… आज मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर को हिंदुस्तान के नक्शे पर सबसे आगे खड़ा कर दिया है.. नंबर वन अफसर और नंबर वन इंदौर। देखिए पूरी रिपोर्ट।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे स्वच्छता अभियान की शुरुआत की है, तब से स्वच्छ शहरों को लेकर देशभर की निगाहें टिकी रहती है। हर कोई यह चाहता है कि उसका शहर देश में नंबर वन बने ।इसके लिए काफी मशक्कत भी की जाती है लेकिन 2 आईएएस अफसरों की दूरदृष्टि (लाॅग विजन) के कारण इंदौर ने चौथी बार पूरे देश में बाजी मार ली है। किसी भी प्रतिस्पर्धा में एक बार या दो बार विजय हो ना तो आसान बात होती है मगर लगातार तीसरी और चौथी बार देश में चल रही स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा में सबसे अव्वल स्थान पर रहकर बाजी मारना कोई आसान काम नहीं रहता है । इसके लिए दिन रात मेहनत करना पड़ती है। इसके अलावा सफाई कर्मियों से लेकर शहर के लोगों को अपने विश्वास में लेना होता है। यह सब कुछ इंदौर जैसे बड़े शहर में कर गुजरना काफी आसान नहीं होता है। आईएएस अफसर मनीष सिंह ने इंदौर में निगमायुक्त रहते हुए सबसे पहले इंदौर को नंबर वन लाने की पहल की थी। इसके बाद इसी कार्य को आगे बढ़ाया तत्कालीन आईएएस अफसर और निगमायुक्त इंदौर आशीष सिंह ने। वर्तमान में निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने भी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी किंतु इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह और उज्जैन कलेक्टर का बड़ा योगदान माना जाता है।
चुनौतियों को चुनना ही काम है इन अफसरों का
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करने वाले अफसरों में शुमार है । इंदौर में जब कोरोना सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा था तब इंदौर में कांटो भरी कलेक्ट्रली किसी आईएएस अधिकारी को रास नहीं आ रही थी। उस समय शिवराज सरकार ने आईएएस अधिकारी मनीष सिंह को निर्देश दिया तो उन्होंने इस चुनौती को भी स्वीकार कर लिया। वर्तमान में इंदौर उस खतरे से निकल चुका है जो 3 महीने पहले तक बना हुआ था। ऐसा ही कुछ उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के साथ भी गुजरा है। पूर्व में उज्जैन देश के धार्मिक शहरों में सबसे हॉटस्पॉट बनकर उभर रहा था मगर उज्जैन में कलेक्टर की कुर्सी संभालने के बाद आईएएस अफसर आशीष सिंह चंद दिनों में करोना पर कंट्रोल पा लिया। देश के टॉप 10 आईएएस अफसरों का अवार्ड भी आशीष सिंह को मिल चुका है।
सैकड़ों कार्यों के बाद सफाई पर जोर
कोरोना काल में कलेक्टर की कुर्सी संभाल कर महामारी से निपटने के साथ-साथ सफाई व्यवस्था पर भी ध्यान रखना आसान कार्य नहीं है ।वर्तमान समय में कलेक्टर के पास काफी बड़ा दायित्व रहता है । महामारी एक्ट के मुताबिक कलेक्टर को सर्वाधिकार प्राप्त होते हैं ।ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ स्वच्छता पर जोर देते हुए अवार्ड हासिल करना चुनौती भरा रहा है, मगर विपरीत परिस्थितियों में भी चौथी बार इंदौर को नंबर वन बना कर आईएएस अधिकारी मनीष सिंह, आशीष सिंह और प्रतिभा पाल मध्य प्रदेश को एक बार फिर गौरव हासिल करवाया है।
रिजल्ट ओरिएंटेड अधिकारी अवार्ड दिलाने वाले आईएएस
किसी भी कार्य की सफलता उसके किए गए प्रयासों का मूल्यांकन तय करती है। आईएएस आशीष सिंह, मनीष सिंह और प्रतिभा पाॅल रिजल्ट ओरिएंटेड अफसर है। वे अपने अधीनस्थों से किंतु, परंतु ,मगर, अगर जैसे शब्द सुनने की बजाय तत्काल निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं, इसीलिए उनके द्वारा जो भी कार्य अधीनस्थों को दिया जाता है वह बखूबी निभाते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी अफसर बिना किसी दबाव के पूरी क्षमता के साथ निर्णय लेते हैं, यही सख्त रैवया ही मध्य प्रदेश का नाम देश भर में लगातार चमक रहा है