आपदा बनाम अवसर: उज्जैन में सिंगल टेंडर का खेल !

 

(शैलैष व्यास)
उज्जैन। कतिपय अधिकारी आपदा में अवसर का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते हैं। नगर निगम और पीएचई में वर्षों से उपकृत हो रही एक फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए लाखों रुपए के काम का सिंगल टेंडर ही स्वीकृत कर काम की जिम्मेदारी सौंप दी।
नगर निगम,पीएचई द्वारा शहर में पेयजल के पम्पों का संधारण, संचालन और पम्प प्रदाय का ठेका केवल सिंगल टेंडर पर ही स्वीकृत कर दिया। वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी में सबकुछ हैं। आपदा में अवसर हाथ आया हैं,तो सभी ने चुप्पी साध रखी हैं। शासन के नियमानुसार किसी भी कार्य के लिए कम से कम दो या तीन और अधिकतम टेंडर आने चाहिए,जिससे की दर और काम की प्रतिस्पर्धा हो और शासन को आर्थिक लाभ होने के साथ कार्य में गुणवत्ता भी मिले। इसके बावजूद पीएचई के अधिकारी ने सेवानिवृत्ति से कुछ ही दिन पहले आपदा में अवसर का लाभ उठाते हुए पीएचई के अधिकारियों द्वारा वर्षों से लाभान्वित फर्म को फिर से लाभ तो पहुंचाया,अपने हित भी साध लिए। सेवानिवृत्ति के पहले फर्म की सेवा से मेवा हासिल कर लिया।

ऐसे जमाया खेल
नगर निगम,पीएचई द्वारा पेयजल के लिए पम्पों का संचालन, संधारण और पम्प प्रदाय के लिए करीब 1.29 करोड़ के काम का टेंडर निकाला था। अधिकारियों ने इसमें कई ऐसी शर्त रखी की सामान्य फर्म टेंडर प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो सके। बहरहाल टेंडर में दो फर्म शामिल हुई। एक वह फर्म वह जिसे उपकृत करना चाहते थे, दूसरी अन्य फर्म थी। सूत्रों के अनुसार एक फर्म ने दर से 30 प्रतिशत अधिक पर काम करने का और दूसरी फर्म ने दर से 20 प्रतिशत कम पर कार्य का प्रस्ताव दिया। कम दर देने वाली फर्म द्वारा अधिकारियों की तय विशेष शर्त पूरी नहीं हो रही थी, इसलिए नियम से विपरीत जा कर टेंडर को निरस्त कर दिया गया। जानकारों का कहना है कि टेंडर में विशेष शर्तों के अधिक मायने नहीं हैं। शर्तें पूरी करने के लिए कम दर देने वाली फर्म,संस्था या व्यक्ति से चर्चा के बाद समझौता या अनुबंध कर कार्य दिया जा सकता हैं। नियम भी यही हैं। उज्जैन नगर निगम आयुक्त को ऐसा करने के अधिकार भी है,लेकिन तात्कालीन आयुक्त या पीएचई अधिकारी ने ऐसा नहीं किया। क्योंकि अधिकारी की जिस फर्म को ठेका देने की मंशा थी,उसकी दर अधिक थी। अधिकारियों ने नियमानुसार प्रक्रिया करने की बजाए टेंडर ही निरस्त कर दिया।

बाले-बाले राशि में वृद्धि और टेंडर जारी
टेंडर के खेल में नगर निगम, पीएचई अधिकारियों ने आपदा में अवसर का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोडी। कोविड-19,लॉकडाउन, अनलॉक के बीच अधिकारियों ने छह माह पूर निरस्त टेंडर को न केबल गुपचुप तरीकें से जारी किया, बल्कि टेंडर में दो-तीन लाख नहीं 84 लाख से अधिक की बढोतरी कर दी। जो टेंडर पहले 10296623 रु.का था, उसकी राशि बढाकर 1868293 रु. कर दी गई। टेंडर और इसमें शामिल होने की प्रक्रिया को इतने गुपचुप और गोपनीय तरीकें से अंजाम दिया कि टेंडर में शामिल होने की इच्छुक अन्य फर्म को कानोंकान जानकारी नहीं हुई। केवल उसी फर्म को पता चला, जिसे पीएचई अधिकारी ठेका देना चाहते थे और हुआ भी वहीं। अधिकारी ने नियम को नजरअंदाज कर सिंगल टेंडर ही स्वीकृत कर दिया। इस मसले पर प्रतिक्रिया के लिए पीएचई के ईई अतुल तिवारी से संपर्क किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

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